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कलई खोलते ये असंतुलित आँकड़े 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Sat , 31 Oct

सार

बेरोजगारी दर के साथ श्रम भागीदारी दर में भी बढ़ोतरी हुई मगर फरवरी में रोजगार दर जनवरी में दर्ज स्तर पर ही रही। रोजगार के मामले में देश के शहरी क्षेत्रों का प्रदर्शन ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अच्छा रहा। इस अवधि में ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी काफी बढ़ी..!

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विस्तार

लाख प्रयासों के बावजूद सरकार बेरोज़गारी के मोर्चे पर कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं कर पा रही है। ग्रामीण और शहरी  रोज़गार के आँकड़ों के बीच असंतुलन  भी चर्चा का विषय है। आँकड़ों  के आईने में देखने पर जहां देश में फरवरी 2023 में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.45 प्रतिशत आंकी गई,जनवरी में यह दर 7.14 प्रतिशत रही थी। श्रम बल में बेरोजगार लोगों की संख्या भी 3.15 करोड़ से बढ़कर 3.3 करोड़ हो गई। बेरोजगारी दर के साथ श्रम भागीदारी दर में भी बढ़ोतरी हुई मगर फरवरी में रोजगार दर जनवरी में दर्ज स्तर पर ही रही। रोजगार के मामले में देश के शहरी क्षेत्रों का प्रदर्शन ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अच्छा रहा। इस अवधि में ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी काफी बढ़ी।

देश में फरवरी के दौरान श्रम भागीदारी दर मामूली बढ़कर 39.92 प्रतिशत हो गई। जनवरी में यह दर 39.8 प्रतिशत थी। श्रम बल का आकार 44.08 करोड़ से बढ़कर 44.29 करोड़ हो गया। इसका आशय है कि जनवरी की तुलना में फरवरी में 21 लाख अतिरिक्त लोगों ने रोजगार की तलाश की। जितने लोग श्रम बल में आए उनमें केवल 6 लाख लोग रोजगार प्राप्त कर पाए। शेष 15 लाख लोग बेरोजगार रह गए। यह फरवरी में बेरोजगारी दर बढ़ने का कारण स्पष्ट करता है।

फरवरी के आंकड़ों में क्षेत्रीय आधार पर असमानता दिखती है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार में कमी के कारण बेरोजगारी में इजाफा हो गया। इससे भी अधिक चिंता की बात यह रही कि जितने लोग रोजगार तलाशने आए उनमें एक बड़ी संख्या को काम नहीं मिला। दूसरी तरफ, शहरी क्षेत्रों में रोजगार में इजाफा हुआ। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में बेरोजगार लोगों की संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज हुई।

वैसे पिछले तीन महीनों के दौरान ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दरों में अंतर कम हुआ है। दिसंबर 2022 में शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर 2.65 प्रतिशत थी, जो ग्रामीण क्षेत्र के आकड़ों की तुलना में अधिक रही। यह अंतर जनवरी 2023 में कम होकर 2.07 प्रतिशत और फरवरी में और कम होकर 0.7 प्रतिशत रह गई। ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर लगातार ऊंचे स्तरों पर है।

ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 0.75 प्रतिशत बढ़कर फरवरी में 7.23 प्रतिशत हो गई। जनवरी में यह दर 6.48 प्रतिशत थी। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगार लोगों की संख्या बढ़कर करीब 23 लाख हो गई। इससे थोड़ा अचरज जरूर हुआ क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में इससे पूर्व की चार महीने की अवधि में बेरोजगारी दर घट रही थी। जनवरी और फरवरी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में श्रम भागीदारी दर 40.9 प्रतिशत के स्तर पर मजबूत बनी रही। हालांकि श्रम बाजार के आकार में मामूली इजाफा जरूर हुआ। ग्रामीण क्षेत्र में श्रम बल का आकार 29.98 करोड़ से बढ़कर फरवरी में 30 करोड़ हो गया।

जनवरी में शहरी क्षेत्रों में रोजगार दर 34.33 प्रतिशत थी। यह फरवरी में 0.63 प्रतिशत अंक बढ़कर 34.96 प्रतिशत हो गई। सितंबर 2020 के बाद से शहरी क्षेत्र में दर्ज रोजगार दर का यह उच्चतम स्तर रहा। फरवरी में शहरी क्षेत्रों में कार्यबल में 26 लाख का इजाफा हुआ। इस तरह, श्रम बल में 13.15 करोड़ लोग रोजगार वाले हो गए। शहरी क्षेत्रों में कार्यरत लोगों की हिस्सेदारी काम करने वाली आबादी में काफी बढ़ोतरी रही।

फरवरी के रोजगार के आंकड़े बताते हैं कि शहरी क्षेत्रों के युवाओं को रोजगार में बढ़ोतरी का लाभ मिल रहा है। शहरी क्षेत्रों में पुरुष बेरोजगारी दर में 1.46 प्रतिशत का इजाफा हुआ। यह दर जनवरी की 58.7 प्रतिशत की तुलना में जनवरी में बढ़कर 60.17 प्रतिशत हो गई। दूसरी तरफ महिलाओं में रोजगार दर इसी अवधि के दौरान 6.36 प्रतिशत से मामूली कम होकर 6.28 प्रतिशत रह गई।

भारत में फरवरी के दौरान बेरोजगार लोगों की संख्या में हुआ इजाफा ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित रहा। ग्रामीण क्षेत्रों में श्रम बल में महज 2.6 लाख का इजाफा हुआ और करीब 23 लाख लोग फरवरी में बेरोजगार हो गए। इसके उलट रोजगार के मामले में देश के शहरी क्षेत्रों का प्रदर्शन अच्छा रहा। यहाँ प्रश्न  राज्य और केंद्र सरकारों की योजना का है, उनके पैमानों का है। मध्यप्रदेश सहित वे राज्य जहां चुनाव आसन्न है, ‘लाड़ली बहना’ जैसी योजना आ रही है। ये सब मतदाता को रिझाने वाली योजना है साथ ही इस बात की स्वीकारोक्ति भी है कि सरकारें  इस मोर्चे पर पूरी तरह काम नहीं कर सकी हैं।