अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस छोड़ कर आना अमरीका की सरकारी नीति है, लेकिन प्रवासियों को लाते हुए ऐसा पाशविक व्यवहार क्यों किया गया ?
हथकड़ी बेड़ी लगाकर 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को वापसवापिस भेजने वाले अमेरिका ने यह नहीं सोचा कि सैन्य विमान का हमारी सरजमीं पर उतरना देश की संप्रभुता के खिलाफ है। यहाँ सवाल यह भी है भारत सरकार क्यों चुप रही और उसने यह समझौता क्यों किया ?
अमरीका में अवैध भारतीयों की संख्या करीब 7 लाख बताई जाती है। यदि राष्ट्रपति टंरप का प्रशासन सभी को भारत वापस भेजना चाहेगा, तो पूरी कवायद में 10 साल लगेंगे। यह विशेषज्ञों का आकलन है। कानूनी औपचारिकताएं अलग हैं। अभी तक अमरीका में बिना वैध दस्तावेज वाले 20,407 भारतीयों को ही चिह्नित किया जा सका है। वे सभी अवैध प्रवासी हैं। वे अंतिम ‘बेदखली आदेश’ का इंतजार कर रहे हैं।
इनमें से 17,940 भारतीय ऐसे हैं, जो बाहर में घूम-फिर रहे हैं। हालांकि कइयों के पैरों में ‘डिजिटल टै्रकर’ लगाए गए हैं, लिहाजा उनकी लोकेशन पर ‘इमिग्रेशन एंड कस्टम एनफोर्समेंट’ (आईसीई) चौबीसों घंटे निगाह रखती है। उधर 2467 अवैध भारतीय प्रवासी ‘हिरासत केंद्र’ में कैद हैं। उनमें से ही 104 को भारत वापस भेजा गया है। ऐसे अवैध प्रवासियों को 2009 से ही वापस भेजा जा रहा है, लेकिन जिस तरह सैन्य विमान से हथकड़ी बांध कर और पांवों में बेडिय़ां पहना कर इन भारतीयों को वापस लाया गया है, वह ‘अमानवीय’ कृत्य है और आतंकियों के साथ किए गए व्यवहार सरीखा है।
अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस छोड़ कर आना अमरीका की सरकारी नीति है, लेकिन प्रवासियों को लाते हुए ऐसा पाशविक व्यवहार क्यों किया गया ? आज आम भारतीय यह सवाल पूछ रहा है और भारत-अमरीका संबंधों की सच्चाई जानना चाहता है।
भारत अमरीका का मित्र-देश है, सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, क्या ऐसे देश के मूल नागरिकों के साथ अमानवीय व्यवहार करना उचित है? विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्यसभा में वक्तव्य देकर लीपापोती की कि अब तक 15,756 अवैध भारतीय प्रवासी भारत लौटे हैं। यह सिलसिला कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार के दौरान भी जारी था और मौजूदा सरकार के कालखंड में भी लगातार हर साल ऐसे भारतीय लौटे हैं।
क्या विदेश मंत्री का इतना आश्वासन ही पर्याप्त है कि भारत सरकार टंरप प्रशासन के लगातार संपर्क में है और आग्रह कर रहे हैं कि भारतीयों के संग ऐसा दुर्व्यवहार न हो। सवाल हथकड़ी-बेडिय़ों वाले अमानवीय सलूक का है, जो हरेक आतंकवादी के साथ भी नहीं किया जाता।
यदि कोलंबिया जैसे छोटे देश का राष्ट्रपति लाल आंखें दिखा कर अमरीकी विमान के उतरने से साफ इंकार कर सकता है, तो भारत जैसा मजबूत और विराट देश क्यों नहीं कह सका कि हम अपना विमान भेजकर ऐसे भारतीयों को वापस ले आएंगे ? इस ‘आंख से आंख मिलाने वाली’ नीति से कूटनीति का कहां नुकसान हो रहा था? विदेश मंत्री अमरीकी दुर्व्यवहार का खंडन नहीं कर पाए और न ही संसद में निंदा कर पाए।