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ख़तरा : डार्क वेब और  डीप वेब 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Sat , 08 Sep

सार

डार्क वेब इंटरनेट का ऐसा एक हिस्सा है जिसे सर्च इंजन द्वारा इंडेक्स नहीं किया जाता है।

janmat

विस्तार

इस समय साइबर दुनिया में चर्चा का विषय है ”डार्क वेब”। इंटरनेट का 96 प्रतिशत हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है | डार्क वेब इंटरनेट का वो हिस्सा है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है। 

हक़ीक़त में हम इंटरनेट कंटेंट के केवल चार प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल करते हैं, जिसे सरफेस वेब कहा जाता है। डार्क वेब इंटरनेट का ऐसा एक हिस्सा है जिसे सर्च इंजन द्वारा इंडेक्स नहीं किया जाता है। डार्क वेब को आम तौर पर गैरकानूनी और आपराधिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। 

लंदन में किंग्स कॉलेज के शोधकर्ता डैनियल मूर और थॉमस रिड ने 2015 में 5 सप्ताह तक 2723 लाइव डार्क वेब साइट्स की सामग्री को नजर रखी और पाया कि 57 प्रतिशत में अवैध सामग्री मौजूद थी। डीप वेब पर मौजूद कंटेंट को एक्सेस करने के लिए पासवर्ड की जरूरत होती है जिसमें ई-मेल, नेट बैंकिंग आते हैं। डार्क वेब को खोलने के लिए टॉर ब्राउजर का इस्तेमाल किया जाता है। यहां ड्रग्स, हथियार, पासवर्ड, चाइल्ड पॉर्न जैसी बैन चीजें उपलब्ध रहती हैं।

डार्क वेब ओनियन राउटिंग टेक्नोलॉजी पर काम करता है। यह यूजर्स को ट्रैकिंग और सर्विलांस से बचाता है और उनकी गोपनीयता बरकरार रखने के लिए सैकड़ों जगह रूट और री-रूट करता है। आसान शब्दों में समझें तो वो शख्स कुछ भी करे, उसे पकडऩा नामुमकिन हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि डार्क वेब ढेर सारी आईपी एड्रेस से कनेक्ट और डिस्कनेक्ट होता है, जिससे इसको ट्रैक कर पाना असंभव हो जाता है। यहां यूजर की इन्फॉर्मेशन इंक्रिप्टेड होती है, जिसे डिकोड करना नाममुकिन है। डार्क वेब पर डील करने के लिए वर्चुअल करेंसी जैसे बिटकॉइन का इस्तेमाल किया जाता है।

ऐसा इसलिए होता है, ताकि ट्रांजैक्शन को ट्रेस न किया जा सके। कहते हैं कि डार्क वेब पर हत्या की सुपारी देने से लेकर हथियारों की तस्करी तक कई अवैध काम होते हैं। डार्क वेब पर यूजर्स से उनकी पर्सनल डिटेल लीक करने की धमकी देकर उनसे मोटे पैसे वसूले जाते हैं। डार्क वेब पर ढेर सारे ऐसे भी स्कैमर्स होते हैं, जो बेहद सस्ते में वो चीजें भी बेचते हैं जो बैन हैं। बहुत से लोग वहां सस्ते फोन खरीदने के चक्कर में लाखों रुपए गंवा देते हैं। 

सरे विश्वविद्यालय में डा. माइकल मैकगायर्स द्वारा किए गए एक अध्ययन ‘इनटू द वेब ऑफ प्रॉफिट’ से पता चलता है कि हालात बदतर हो गए हैं। 2016 से 2019 तक डार्क वेब लिस्टिंग की संख्या जो किसी उद्यम को नुकसान पहुंचा सकती है, 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है? सभी लिस्टिंग (ड्रग्स बेचने वालों को छोडक़र) में से 60 प्रतिशत संभावित रूप से उद्यमों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। बिग डेटा, क्रेडिट कार्ड नंबर, नशीली दवाइयां, अवैध हथियार, नकली मुद्रा, चोरी की गई सदस्यता के क्रेडेंशियल, हैक किए गए नेटफ्लिक्स समेत अन्य अकाउंट खरीदे जा सकते हैं। यही नहीं, यहां ऐसे सॉफ्टवेयर खरीदे जा सकते हैं जो आपको दूसरे लोगों के कंप्यूटर में सेंध लगाने में मदद करते हैं। 

हालांकि सब कुछ अवैध नहीं है, डार्क वेब का एक सकारात्मक पक्ष यह भी है। उदाहरण के लिए आप शतरंज क्लब या ब्लैकबुक में शामिल हो सकते हैं, जिसे टॉर का फेसबुक जैसा एक सोशल नेटवर्क माना जाता है। अगर आपसे संबंधित डार्क वेब पर कोई जानकारी या दस्तावेज मिलते हैं,तो आप इसके बारे में कुछ नहीं कर सकते, लेकिन कम से कम आपको पता चल जाएगा कि आप जोखिम वाले स्थान पर चिन्हित हैं। अगर आपकी निजी जानकारी या ऐसी कोई जानकारी डार्क वेब पर है, जिससे आपके लिए परेशानी खड़ी हो सकती है, तो आप सूचना एवं प्रौद्यगिकी मंत्रालय के पोर्टल पर या पुलिस को सूचित कर अपना बचाव कर सकते हैं।

डीप वेब और डार्क वेब शब्दों का इस्तेमाल कभी-कभी एक-दूसरे के लिए किया जाता है, लेकिन वे एक जैसे नहीं हैं। डीप वेब इंटरनेट पर मौजूद किसी भी ऐसी चीज को संदर्भित करता है जिसे गूगल जैसे सर्च इंजन द्वारा इंडेक्स नहीं किया गया है और इसलिए उस तक पहुंचा नहीं जा सकता। डीप वेब कंटेंट में वह सब कुछ शामिल है जो पेवॉल के पीछे है या जिसके लिए साइन-इन क्रेडेंशियल की आवश्यकता होती है। इसमें वह सभी कंटेंट भी शामिल हैं जिसे उसके मालिकों ने वेब क्रॉलर को इंडेक्स करने से रोक दिया है। मेडिकल रिकॉर्ड, शुल्क आधारित सामग्री, सदस्यता वेबसाइट और गोपनीय कॉर्पोरेट वेब पेज डीप वेब बनाने वाली चीजों के कुछ उदाहरण हैं। अनुमान है कि डीप वेब का आकार इंटरनेट के 96 फीसदी से 99 फीसदी के बीच है। 

यह एक छलावे की तरह काम करता है, लेकिन इसका परिणाम एक ऐसा अनुभव होता है जो डार्क वेब जैसा ही होता है- अप्रत्याशित, अविश्वसनीय और चौंकाने वाला। फिर कहना होगा कि डार्क वेब बिटकॉइन की बदौलत फल-फूल रहा है, यह क्रिप्टो-करेंसी है जो दो पक्षों को एक-दूसरे की पहचान जाने बिना भरोसेमंद लेनदेन करने में सक्षम बनाती है। बिटकॉइन डार्क वेब के दायरे को बढ़ाने में एक बड़ा फैक्टर रहा है। लगभग सभी डार्क वेब बिटकॉइन या किसी अन्य रूप में लेनदेन करती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वहां व्यापार करना सुरक्षित है। ऐसी जगह स्कैमर्स और चोरों को आकर्षित करती है, लेकिन जब आपका उद्देश्य बंदूकें या ड्रग्स खरीदना हो तो आप क्या उम्मीद करते हैं। 

जिस तरह से इंटरनेट की सुविधाएं बढ़ी हैं, आपके मोबाइल पर एक क्लिक से सरकारी योजना, बैंकिंग सेवा, कोई फॉर्म भरना हो या कोई भी अपडेट हो, आप हासिल कर सकते हैं। यह सुविधाएं आपके लिए काफी लाभदायक हैं, लेकिन एक खतरा भी है कि सात समंदर दूर बैठा आदमी भी आप तक सीधे पहुंच सकता है।