निश्चित रूप से देश में बढ़ता खाद्यान्न उत्पादन और मजबूत होती ग्रामीण आर्थिकी देश की आर्थिक शक्ति बन गई है, प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक इस समय भारत दुनिया की नई खाद्य टोकरी और वैश्विक खाद्य सुरक्षा के प्रतिबद्ध देश के रूप में रेखांकित हो रहा है..!!
देश में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन और रिकॉर्ड खाद्य प्रसंस्करण उत्पाद एक मजबूत हथियार दिखाई दे रहे हैं। चूंकि इस वर्ष 2025 में वैश्विक स्तर पर खाद्यान्न उत्पादन में कमी के आकलन प्रस्तुत हुए हैं, ऐसे में ट्रंप के टैरिफ से भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में होने वाली 3 से 3.5 प्रतिशत हानि की बहुत कुछ भरपाई खाद्यान्न और कृषि प्रसंस्करण के निर्यात से भी की जा सकेगी। निश्चित रूप से देश में बढ़ता खाद्यान्न उत्पादन और मजबूत होती ग्रामीण आर्थिकी देश की आर्थिक शक्ति बन गई है। प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक इस समय भारत दुनिया की नई खाद्य टोकरी और वैश्विक खाद्य सुरक्षा के प्रतिबद्ध देश के रूप में रेखांकित हो रहा है।
यदि वर्ष 2024-25 के लिए जारी मुख्य कृषि फसलों (खरीफ एवं रबी) के उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान की ओर देखें तो पाते हैं कि चावल, गेहूं, मक्का, मूंगफली एवं सोयाबीन के साथ-साथ तुअर और चना के भी रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद जताई गई है। देश में कुल रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन 33 करोड़ टन से भी अधिक होने का अनुमान है। इसी तरह फल और सब्जी उत्पादन में भी तेज वृद्धि होगी। इतना ही नहीं वर्ष 2024-25 की सकल घरेलू उत्पाद में (जीडीपी) में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के योगदान में 4.6 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है। पिछले वर्ष यह वृद्धि दर 2.7 प्रतिशत थी। इस तरह जहां देश में खाद्यान्न की कमी से खाद्यान्न अधिशेष की ऊंचाइयां देश के लिए लाभप्रद बन गई हैं, वहीं भारत का खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोससिंग) सेक्टर भी ट्रंप के टैरिफ से जंग में भारत की आर्थिक ताकत दिखाई दे रहा है। यह एक ऐसा उभरता उद्योग है जिसमें पिछले 10 वर्षों में 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हुआ है।
देश के कुल कृषि निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 13.7 से बढक़र करीब 24 प्रतिशत हो गई है। इस परिप्रेक्ष्य में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) की खाद्य प्रसंस्करण पर प्रकाशित शोध अध्ययन रिपोर्ट उल्लेखनीय है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के खाद्य प्रसंस्करण का क्षेत्र वर्ष 2023 में 307 अरब डॉलर का था, यह तेजी से बढक़र वित्त वर्ष 2030 तक 700 अरब डॉलर, वर्ष 2035 तक 1100 अरब डॉलर, वर्ष 2040 तक 1500 अरब डॉलर और वर्ष 2047 तक 2150 अरब डॉलर तक की ऊंचाई पर पहुंचने की उम्मीद है। पीएचडीसीसीआई ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि भारत से कृषि और खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर से निर्यात में तेज वृद्धि हो रही है। वर्ष 2013-14 में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्कृत उत्पादों का जो निर्यात 39 अरब डॉलर था, वह बढक़र वर्ष 2022-23 में 52 अरब डॉलर से अधिक हो गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र से निर्यात लगातार बढ़ते हुए वर्ष 2030 तक 125 अरब डॉलर, वर्ष 2035 तक 250 अरब डॉलर, वर्ष 2040 तक 450 अरब डॉलर और वर्ष 2047 तक 700 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच जाएगा। नि:संदेह ट्रंप की टैरिफ चुनौती का मुकाबला करने की डगर पर भारत के लिए कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन महत्वपूर्ण बन गया है।