अजीब हालत है कि विपक्षी दलों के लिए उदयनिधि का यह बयान न उगलते बन रहा है, न ही निगलते। उदयनिधि स्टालिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे और मंत्री हैं जिन्होंने सनातन धर्म के खात्मे का बयान देकर पहले से ही आपसी आरोप-प्रत्यारोपों के झंझावातों से जूझ रही विपक्षी एकता के लिए नया संकट पैदा कर दिया है।
मुश्किल तो यह है विपक्षी दल इस मुद्दे पर साफ प्रतिक्रिया जाहिर करने के बजाय कन्नी काट रहे हैं। विपक्षी दलों को इस मुद्दे पर हिन्दू वोट बैंक के नाराज होने का खतरा है, वहीं जगजाहिर है तमिलनाडु के राजनीतिक दलों के प्रमुख मुद्दे जाति, धर्म और भाषा के मुद्दे रहे हैं। मौजूदा सत्तारूढ़ दल डीएमके हो या प्रमुख विपक्षी दल एआईएडीएमके, इनकी राजनीतिक नींव ही धर्म और सम्प्रदाय के विरोध के आधार पर ही पड़ी है।
उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू के बुखार से करते हुए कहा था कि ऐसी चीजों का विरोध नहीं करना चाहिए, बल्कि खत्म किया जाना चाहिए। विपक्षी दलों की मुंबई में हुई बैठक में तीसरी बैठक में संचालन समिति के गठन का मुद्दा ही तय हो पाया। इंडिया गठबंधन दल अन्य मुद्दों पर कोई एकराय कायम करते, इससे पहले उदयनिधि का बयान उनके लिए मुसीबत बन गया है।
पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर असहमति जताई। उन्होंने कहा कि वे उदयनिधि के बयान से सहमत नहीं हैं।ममता बनर्जी ने उदयनिधि को इस तरह के बयान से बचने की सलाह देते हुए कहा कि मैं तमिलनाडु के लोगों का बहुत सम्मान करती हूं, लेकिन उनसे मेरा विनम्र अनुरोध है कि हर धर्म की अपनी अलग-अलग भावनाएं होती हैं। हमें ऐसे किसी भी मामले में शामिल नहीं होना चाहिए जिससे किसी भी वर्ग को ठेस पहुंचे।
इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा फजीहत कांग्रेस की हो रही है। कांग्रेस की समझ में ही नहीं आ रहा है कि इस मामले से कैसे निपटा जाए? यदि कांग्रेस स्टालिन के बयान का विरोध करती है तो इससे विपक्षी एकता की दरार बढऩे का खतरा है, विरोध नहीं करने की सूरत में भाजपा के तीखे हमलों से बचाव करना आसान नहीं है, जिसका असर सीधा वोट बैंक पर पड़ेगा। कांग्रेस में इस मुद्दे पर नेताओं ने अलग-अलग राय जाहिर की है। पार्टी सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि वह डीएमके के मंत्री के बयान का पूरी तरह से समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि उदयनिधि स्टालिन ने अपने भाषण में बस इतना कहा कि जातिवादी समाज को खत्म किया जाना चाहिए।
कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा कि कोई भी धर्म जो समान अधिकार नहीं देता है या आपके साथ इंसानों जैसा व्यवहार नहीं करता है, वह बीमारी के समान है। इसके विपरीत कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि हमारा रुख स्पष्ट है। सर्वधर्म समभाव कांग्रेस की विचारधारा है, लेकिन आपको यह समझना होगा कि हर राजनीतिक दल को अपने विचार रखने की आजादी है। हम हर किसी की आस्था का सम्मान करते हैं। वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री करण सिंह ने स्टालिन के बयान को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि ये पूरी तरह से अस्वीकार्य बयान है।
शिवसेना की नेता प्रियंका चतुर्वेदी भी उदयनिधि के बयान की आलोचना करती दिखीं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म शाश्वत सत्य, जीवन जीने का तरीका, विवेक और अस्तित्व का प्रतीक है। पहले से ही विपक्षी दलों पर घात लगाए बैठी भाजपा को इस मुद्दे ने विपक्षी एकता के विरोध की मशाल के लिए ईंधन मुहैया करा दिया है।
उधर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राजस्थान में एक जनसभा में इंडिया गठबंधन के दलों के खिलाफ जमकर प्रहार किया। एक अन्य बयान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इंडिया गठबंधन के दल डीएमके ने सनातन धर्म पर चोट पहुंचाई और कांग्रेस के लोगों ने चुप्पी साध रखी है। उन्होंने सवाल दागते हुए कहा कि इस मुद्दे पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे क्यों नहीं बोलते कि सनातन धर्म के बारे में उनकी सोच क्या है?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरह मोदी को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान की तरह अब स्टालिन का यह बयान भी कानून के शिकंजे में आ गया है। उदयनिधि स्टालिन और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के बेटे प्रियांक खडग़े के खिलाफ उत्तर प्रदेश के रामपुर में एफआईआर दर्ज की गई है।
भारत की 262 प्रतिष्ठित हस्तियों ने मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखकर उदयनिधि मामले में स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध किया है। चिट्ठी में लिखा है कि उदयनिधि स्टालिन की ओर से दिए गए नफरत भरे भाषण का स्वत: संज्ञान लिया जाए, जो सांप्रदायिक वैमनस्य और सांप्रदायिक हिंसा को भडक़ा सकता है। इन हस्तियों में उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और नौकरशाह शामिल हैं।इन तमाम विरोधाभासी बयानों के बावजूद उदयनिधि स्टालिन अपने बयान पर अड़े हुए हैं। इससे देश में नया राजनीतिक विवाद जारी है।