संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने की मांग पर शुरू हुए विवाद से कुल 146 विपक्षी सांसदों का निलंबन हुआ।
लीजिए,अब तक संसद की कार्यवाही का सबसे कम संचालन होना देश के लोकतांत्रिक इतिहास में काला अध्याय बन गया है। सत्ता पक्ष और विपक्षी की हठधर्मिता से देश का लोकतंत्र शर्मसार हुआ है। इससे करदाताओं के गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपए हंगामे की भेंट चढ़ गए। देश के जरूरी समस्याओं पर चर्चा करने और उनके समाधान तलाशने के बजाय सत्ता पक्ष और विपक्ष शत्रुओं की तरह एक-दूसरे को ललकारने में लगे रहे।
संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने की मांग पर शुरू हुए विवाद से कुल 146 विपक्षी सांसदों का निलंबन हुआ। इनमें 112लोकसभा और 34 राज्यसभा के हैं। सबसे ज्यादा कांग्रेस के सांसद निलम्बित किए गए हैं। कांग्रेस के 60 (लोकसभा से 43, राज्यसभा से 17), एनसीपी के 4 (लोकसभा से 3, राज्यसभा से 1), डीएमके के 21 (लोकसभा से 16, राज्यसभा से 5), सीपीआई-एम के 5 (लोकसभा से 2, राज्यसभा से 3), सीपीआई के 3 (लोकसभा से 1, राज्यसभा से 2), जेडीयू के 14 (लोकसभा से 11, राज्यसभा से 3), नेशनल कॉन्फ्रेंस के 2 (लोकसभा से), तृणमूल कांग्रेस के 21 (लोकसभा से 13, राज्यसभा से 8), सपा के 4 (लोकसभा से 2, राज्यसभा से 2), बसपा का एक (लोकसभा से), आरजेडी के 2 (राज्यसभा से), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के तीन (लोकसभा से), आप का एक (लोकसभा से), केरला कांग्रेस का एक (राज्यसभा से), झामुमो का एक (राज्यसभा से), वीसीके का एक (लोकसभा से) और आरएसपी का एक (लोकसभा से) सांसद हैं।
सत्ता पक्ष पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए विपक्ष के सांसदों ने पुरानी संसद से विजय चौक तक पैदल मार्च निकाला। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि सरकार संसद सुरक्षा चूक पर जवाब दे। खडग़े ने कहा कि सरकार सदन नहीं चलने देना चाह रही है। विपक्ष की आवाज दबा रही है। संसद में बोलना हमारा अधिकार है।सभापति मामले को कोई और रंग दे रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह संसद में आकर इस मामले पर बयान दें। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि संसद से विपक्ष के सांसदों का निलंबन ठीक नहीं है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद की सुरक्षा में चूक के मामले पर कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस घटना को लेकर राजनीति हो रही है। उन्होंने कहा कि उच्चस्तरीय जांच के लिए समिति बनाई गई है और जांच जारी है। पहले भी जब इस तरह की घटनाएं हुई तो लोकसभा अध्यक्ष के जरिए ही उनकी जांच प्रक्रिया आगे बढ़ी। बिरला ने विपक्ष के रवैये पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सदन में नारेबाजी करना, तख्तियां लाना, विरोध करते हुए वेल में आ जाना ठीक नहीं है।
जनता भी ऐसे आचरण को पसंद नहीं करती। सदन में लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत ही चर्चा होनी चाहिए। संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर अहम बिल पास हुए। शीतकालीन सत्र में लोकसभा की उत्पादकता करीब 74 प्रतिशत रही। इस सत्र में विपक्षी दलों की गैर-मौजूदगी में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य बिल, दूरसंचार विधेयक सहित 18 अहम बिल पारित किए गए। लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी। यह पहला मौका नहीं है जब संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे और निलंबन की भेंट चढ़ गया। इससे पहले मणिपुर मामले को लेकर संसद की कार्यवाही में भारी गतिरोध रहा।
गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी नेताओं मल्लिकार्जुन खडग़े और अधीर रंजन चौधरी को पत्र लिखकर संसद में मुद्दे पर चर्चा करने और केंद्र के साथ सहयोग करने को कहा, किन्तु विपक्ष पीएम मोदी के बयान देने पर अड़ा रहा। संसद सेंध और मणिपुर मामलों में विपक्ष की मांग पर सत्ता पक्ष ने सुनवाई नहीं की। सत्ता पक्ष का आरोप था कि विपक्ष जानबूझ कर संसद की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न कर रहा है। इसी गतिरोध का परिणाम रहा कि हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बाधित रही और सता पक्ष की तरफ से विपक्ष के 146 सांसदों का निलंबन किया गया।
17वीं लोकसभा का यह अंतिम साल है। अब तक इसमें 230 दिन ही कार्यवाही चली है। पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली सभी लोकसभाओं में से, 16वीं लोकसभा में बैठक के दिनों की संख्या सबसे कम (331) थी। कार्यकाल में एक और साल शेष होने और साल में औसतन 58 दिनों की बैठक के साथ, 17वीं लोकसभा वर्ष 1952 के बाद से सबसे कम समय तक चलने वाली लोकसभा बन सकती है। मानसून सत्र से पहले संसद में 31 जनवरी से 6 अप्रैल तक बजट सत्र चला। लोकसभा में सेशन की कार्यवाही के लिए 133.6 घंटे निर्धारित हैं, लेकिन सदन में मात्र 45.9 घंटे तक ही कार्यवाही चली। वहीं राज्यसभा में कार्यवाही के लिए 130 घंटे तय हैं, लेकिन यहां मात्र 32.3 घंटे ही कार्यवाही चली।
पिछले 5 सालों की तुलना में इस साल बजट सेशन की कार्यवाही का हाल सबसे बुरा रहा। इस मुद्दे पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि पूरे बजट सत्र के दौरान लोकसभा की कुल प्रोडक्टिविटी 34 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि राज्यसभा में यह आंकड़ा 24.4 प्रतिशत था। वहीं, उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की उत्पादकता महज 24.4 प्रतिशत आंकी। वर्ष 2022 में लोकसभा में कुल 177 घंटे और राज्यसभा में मात्र 127 घंटे ही काम हुआ।
जबकि 2021 में लोकसभा के लिए यह आंकड़ा 131.8 घंटे और राज्यभा में 101 घंटे रहा।
पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी आचार्य ने संसद चलने की लागत 2.5 लाख रुपए प्रति मिनट बताई। उन्होंने बताया कि इसमें बिजली, पानी, पेट्रोल, खाने का बिल, संसद की सिक्योरिटी, सांसदों की सैलरी-अलाउंस, सिक्योरिटी गार्ड और यहां के अलग-अलग हिस्सों में काम करने वाले लोगों को दी जाने वाली सैलरी का खर्च शामिल है। संसद में कीमती वक्त और करोड़ों रुपए बर्बाद हो गए। दीगर है कि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी तक बिजली, पानी, सडक़, अस्पताल, परिवहन सेवा, स्कूल और अन्य बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। सांसदों का चुनाव इसीलिए होता है कि संसद में जाकर आमजन की तकलीफों पर चर्चा करें और उन्हें दूर करने के लिए रास्ते बनाएं। इसके विपरीत सांसद फिजूल की बहसबाजी में उलझ कर आम लोगों की समस्याओं से मुंह मोड़ रहे हैं।