हम भारत के लोग ऐसी संस्कृति और मर्यादा के लोग हैं जो यह मानते हैं कि “ रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई” वचन को पूरा करने के लिए खुद को बलिदान करने से हमारा इतिहास भरा पड़ा है..!
हमारे आधुनिक राजनेता और वचन शायद एक दूसरे से मेल नहीं खाते| वचन तोड़ना एक राजनीतिक जीवन पद्धति और आदत बन गई है| राजनीति और राजनेताओं के प्रति देश में जो अविश्वास बढ़ा है, उसका एक बड़ा कारण वचन पत्रों, संकल्प पत्रों, घोषणा पत्रों की कथनी और करनी में अंतर है|
जहां तक कांग्रेस का सवाल है उसकी हालत तो अब यह हो गई है कि कांग्रेस कोई भी लोकलुभावन वादा कर ले जनता उस पर भरोसा ही नहीं करती| कांग्रेस ने अभी यूपी चुनाव में अनेक लोक-लुभावन वादे किए थे लेकिन चुनाव परिणामों में पार्टी यूपी में अब तक अपने सबसे खराब दौर में पहुंच चुकी है| घोषणा पत्र और संकल्प पत्र में वायदा और सरकार बनने पर उसको लागू करने में किसी भी दल का रिकॉर्ड अच्छा नहीं कहा जा सकता|
मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने 2023 के चुनाव के डेढ़ साल पहले ही वचन पत्र समिति का ऐलान कर दिया है| पूर्व मंत्री राजेंद्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में वचन पत्र निर्माण समिति बनाई गई है| इतने समय पहले यह समिति बनाकर शायद कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि वह वचन पत्र के लिए कितनी गंभीर और संवेदनशील है|
इसलिए यह सवाल उठना स्वाभाविक हो गया है कि कांग्रेस का वचन पत्रों को लागू करने का अब तक का रिकॉर्ड कैसा रहा है? मध्यप्रदेश में 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने लोकलुभावन वचन पत्र जारी किया था| सरकार भी बन गई, कमलनाथ की सरकार ने पार्टी के चुनाव वचन पत्र को किस तरह से रौंदने का काम किया यह जनता ने महसूस किया|
सबसे बड़े चुनावी “मुद्दे” पेट्रोल डीजल से वैट टैक्स कम करने का वचन उसने दिया था| सरकार आने पर क्या किया गया? वादा पूरा नहीं हो सके इसके दो कारण गिनाए जा सकते हैं, लेकिन टैक्स कम करने की बजाय 5% टैक्स बढ़ा देना कमलनाथ, कांग्रेस की क्या जनता के साथ धोखाधड़ी नहीं थी? जिस पार्टी की सरकार चुनाव वचन पत्र के खिलाफ काम करे| उस पार्टी पर तो धोखाधड़ी का मुकदमा चलाया जाना चाहिए?
कमलनाथ सरकार ने किसानों से ऋण माफी के मामले में ऐसे ही वायदा खिलाफी की है| युवाओं को रोजगार देने के वादे का क्या हुआ? युवा स्वाभिमान योजना शुरू की गई, लेकिन कांग्रेस सरकार के 15 महीने में ही यह योजना काल कवलित हो गई| कांग्रेस ने पंचायतों और नगरीय निकायों के साथ कैसा व्यवहार किया?
माना जा रहा है कि कांग्रेस के 2023 के वचन पत्र में पुराने वादों के फिर से शामिल किया जाएगा| इसमें किसानों की कर्ज माफी का मुद्दा भी शामिल हो सकता है| कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में विधायकों की संपत्ति का विवरण देने का वादा किया था लेकिन राज्य विधानसभा में कांग्रेस के कुछ ही विधायकों ने विवरण दिया|
डेढ़ साल की मध्य प्रदेश सरकार ने अपने पहले बजट में ही पंचायत और नगरीय निकायों के बजट पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी| एक साल में 12 हजार 676 करोड़ की कटौती कर इन निकायों को कमजोर करने के लिए सर्जिकल अटैक किया गया| महालेखाकार द्वारा बताया गया है कि इस वर्ष पंचायत राज और नगरीय निकायों को 25 हज़ार करोड़ रुपए की सहायता उपलब्ध कराई गई जो कि साल 2018-19 की तुलना में 12676 करोड़ कम थी |
कांग्रेस सरकार ने युवाओं को अस्थाई रोजगार देने के लिए युवा स्वाभिमान योजना 22 फरवरी 2019 को लांच की| एक साल के अंदर ही युवाओं की इस योजना ने दम तोड़ दिया| योजना के लिए निर्धारित बजट राशि में से 4200 लाख रुपए कांग्रेस सरकार ने डुबा दिए| जो राशि युवाओं को रोजगार देने पर खर्च होनी थी वह कांग्रेसी सरकार उपयोग नहीं कर सकी|
भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक के 31 मार्च 2020 को समाप्त हुए वर्ष के लिए विधानसभा में प्रस्तुत प्रतिवेदन में ये बात उजागर हुई| भारत में फैलते शहरी दायरे के साथ बढ़ते मध्य वर्ग को आकर्षित करने के लिए चुनावी घोषणा पत्र/मेनिफेस्टो की खोज हुई।
भारत के एक चीफ जस्टिस ने कहा था 'मेनिफेस्टो महज़ कागज का एक टुकड़ा भर बनकर रह गए हैं' राजनीतिक दलों को इसके लिए अकाउंटिबल बनाया जाना चाहिए। घोषणापत्रों में कमिटमेंट्स के दोहराव की वजह से आम लोगों को ये घोषणापत्र महज़ रस्म अदायगी लगने लगे हैं। इनके जरिए राजनीतिक दलों की प्रायोरिटी और वैचारिक प्रतिबद्धताओं का पता चलता है।
घोषणा पत्र (Manifesto) इटली का शब्द है, जो लैटिन भाषा के anifestum शब्द से बना है. मैनिफेस्टो शब्द का पहली बार उपयोग अंग्रेजी में 1620 में हुआ था. अब पार्टियों ने इसे अलग अलग नाम से प्रस्तुत करना शुरू कर दिया है, जिसमें विजन डॉक्यूमेंट, संकल्प पत्र आदि शामिल है.
अब सत्ता के लिए राक्षसी आचरण बेचैन करता है, “झूठ बोलो, राज पाओ, काम बनाओ, अपनों की जेबें भरो” बेटा-बेटी भाई भतीजे को कुर्सी तक पहुंचाओ और जनता को येन केन प्रकारेण मूर्ख बनाओ| आज यह राजनीतिक सफलता का पैमाना बन गया है|
कांग्रेस की मध्य प्रदेश की 15 महीने की सरकार ने ऐसा ही आचरण दिखाया है| कांग्रेस यह कह सकती है कि सरकार चली गई नहीं तो वचन पत्र के वादों को पूरा करते| कांग्रेस इस बात का क्या जवाब देगी कि उसने वादे के खिलाफ पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाया? कांग्रेस की इस एक उलटबांसी के कारण जनता को उसके वचन पत्र को कूड़ेदान समझने से कौन और कैसे रोक सकता है?