आईएएस मतलब इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सुप्रीमो, यानी प्रशासन का सुप्रीम कमांडर, प्रशासन का लीडर| इन अफसरों पर नियम कानूनों पर चलते हुए, जनकल्याण और जनता के धन के सदुपयोग और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी होती है| केंद्र और राज्यों में समय-समय पर आईएएस अधिकारियों के भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहे हैं..!
झारखंड का ताज़ा पूजा सिंघल का मामला काफी चर्चित हो रहा है| एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट के छापे में करोड़ों की नकदी, बेहिसाब संपत्ति की जानकारी सामने आई है| इस मामले में कानून अपना काम कर रहा है| उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया है| आगे भी पूजा सिंघल को उनके किए की सजा मिलेगी| इस मामले से शासन प्रशासन में भ्रष्टाचार की कड़ी का पता चलता है| राजनेताओं और प्रशासनिक अफसरों की मिलीभगत से हो रहे भ्रष्टाचार के कारण विषाक्त हो गए प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं|
निचले स्तर पर भ्रष्टाचार क्या आईएएस अफसरों के संरक्षण के बिना हो सकता है? उसी प्रकार आईएएस अफसरों द्वारा भ्रष्टाचार बिना मुख्यमंत्री की मिलीभगत के कैसे हो सकता है? “सिंगल” अफसर क्या पूरे सिस्टम को हाईजैक कर भ्रष्टाचार कर सकता है? जब तक ऊपर से लेकर नीचे तक मिल बांट कर आगे नहीं बढ़ेंगे तब तक अकेला अफसर ऐसा नहीं कर सकता| पूजा क्या एकमात्र अफसर हैं जो नोटों की खदान खोज रही थी|
सीएम और बाकी सिस्टम उनकी गतिविधियों से क्या अनभिज्ञ था या जानबूझकर हिस्सेदारी कर रहा था| पूजा जैसी अफसर की तूती बिना मुख्यमंत्री के इशारे के कैसे बोल रही थी! उनके पास खनन और उद्योग विभाग की जिम्मेदारी थी| क्या यह केवल संयोग है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन माइनिंग के मामले में घिरे हैं| चुनाव आयोग के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में फंस गए हैं| उन पर यह शिकंजा उसी विभाग के आदेशों के कारण है जिसकी पूजा सिंघल सचिव थी|
परिस्थितियां चीख-चीख कर बता रही हैं कि हेमंत सोरेन और पूजा खदानों की खुदाई और नोटों की कमाई में लगे हुए थे| झारखंड राज्य और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पर्याय बन गए| इस राज्य के मुख्यमंत्री रहे मधु कोड़ा भी कोयला घोटाले में फंसे थे| हेमंत सोरेन के पिता झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन भी घोटालों में लिप्त पाए गए थे|
वर्ष 1993 में नरसिंह राव सरकार को लोकसभा में बचाने के लिए शिबू सोरेन पर घूस लेकर वोट देने का मामला सामने आया था| आदिवासियों की राजनीति करने वाले नेता ऐसी ताकतों के जाल में क्यों फंस जाते हैं जो उन्हें भ्रष्टाचार में धकेल देते हैं|
देश में आईएएस से बड़ा कोई पद नहीं होता| प्रशासन का सुप्रीमो ही भ्रष्टाचार करने लगेगा तो “वह अमानत में खयानत” जैसा होगा| जिस पर जनता के धन का सदुपयोग सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है वही लूटने लगे तो फिर क्या बचेगा? कमोबेश हर राज्य में सिविल सेवा “सीएम सेवा” में तब्दील हो गई है|
राज्यों के सीएम भी सेल्समैन के रूप में अपनी और अपने प्रदेश की छवि चमकाने के प्रयास में लगे हुए हैं| सरकारी पदों को मलाई और महत्व के हिसाब से तबादलों के समय क्या नहीं बेचा जाता? मलाईदार जगह उन अफसरों को मिलती है जो सेल्समैन के व्यापार को बढ़ाने में शामिल हो जाते हैं| लोकसभा में प्रश्न के उत्तर में केंद्र सरकार ने बताया था कि कुल संख्या में से 12% आईएएस अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें हैं| इसका मतलब हर 9वा आईएएस अफसर भ्रष्टाचार का आरोपी है| जिन पर आरोप नहीं हैं वह ईमानदार है ऐसा कैसे कह सकते हैं|
अफसरों की काली कमाई कई राज्यों में उजागर हुई है| छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री कार्यालय की महिला उपसचिव पर ईडी के छापे पड़े थे| उन्हें मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता था| करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति पकड़ी गई| मध्यप्रदेश में भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जहां वरिष्ठ आईएएस अफसर के यहां छापों के दौरान करोड़ों रुपए जप्त हुए थे| इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सुप्रीमो ऑफिसर पद के अहंकार में खुदको को कानून से ऊपर मानने लगते हैं|
MP में बड़े नौकरशाहों द्वारा नियम विरुद्ध लो डेंसिटी एरिया में बनाए गए बड़े बड़े बंगलों का मामला काफी दिनों से चर्चा में था| अब तो यह मामला न्यायालय तक पहुंच गया है| कानून का राज क्या गरीबों के लिए ही होता है? राज्यों के मुख्यमंत्री, प्रशासन का मुखिया चुनते समय कई बार “स्वहित” ज्यादा देखते हैं| मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के दागी अफसर को केस वापस लेकर मुख्य सचिव बनाया गया|
इन महाशय पर वर्तमान सरकार द्वारा फिर से जांच शुरू कर दी गई है| यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक आदेश निकाल कर आईएएस अफसरों से खुद की और परिवार की संपत्ति सार्वजनिक करने को कहा है| उत्तर प्रदेश के कई आईएएस अफसरों ने ऐसे कारनामे किए हैं कि मुख्यसचिव तक को जेल जाना पड़ा है|
भ्रष्टाचार मिटाना बहुत जटिल प्रश्न है| भ्रष्टाचार के अवसर ना हो तो लोग सार्वजनिक जीवन में गालियां सुनने के लिए क्यों आएंगे? बिना मिलीभगत और सहमति के एक अफसर भ्रष्टाचार कैसे कर सकता है? झारखंड राजनीतिक रूप से अलग-थलग है| इसलिए शायद आईएएस अफसर के यहां छापे पड़ गए| बाकी राज्यों में ऐसे अफसर नहीं है ऐसा तो नहीं कहा जा सकता!
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई सतत प्रक्रिया है| इस लड़ाई को अध्यात्म से जोड़कर अफसरों और नेताओं को मृत्यु के बाद का भयावह सच और दुष्परिणाम बताना शायद कुछ काम कर जाए| नाजायज कमाई का लाभ कोई भी उठा सकता है, लेकिन उसके कर्मों का फल तो स्वयं उसे ही भुगतना पड़ेगा| जिंदगी भले ही गुजर जाए लेकिन मौत हमेशा न्याय करती है| आप भले पकड़े ना जाएं लेकिन मौत के न्याय से कोई नहीं बच पाएगा|
भ्रष्टाचार का दीमक कैसे सिस्टम को खोखला कर रहा है, यह पूजा सिंघल ने दिखा दिया है| “ना खाएंगे ना खाने देंगे” के संकल्प को जमी तक उतारने में कितना समय लगेगा? सिविल सेवकों का सम्मान देश का सम्मान है| ऐसे अफसरों के काले कारनामे देश के सम्मान के साथ खिलवाड़ है|
ऐसे अफसरों को जो नुकसान होता है वह अलग बात है, देश की आम जनता और सिस्टम पर तो यह आघात जैसा है| कहावत है कि “एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है” जब मछलियों की तादाद 12% हो जाए तो तालाब की गंदगी की कल्पना सहज की जा सकती है| सरकारों द्वारा बनाए जा रहे अमृत सरोवरों से ऐसी मछलियों को कैसे दूर रखा जाएगा?