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जी, आतंकी तो बस आतंकी ही होते हैं

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Wed , 31 Oct

सार

यूँ तो वैश्विक स्तर पर आतंकवाद की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की महत्वपूर्ण बैठक भारत में हुई है, मुंबई और दिल्ली में हुई इस बैठक में मुख्य रूप से आतंकी उद्देश्यों के लिए आधुनिक तकनीकों के उपयोग की चुनौती पर विचार-विमर्श की शुरुआत भर हुई है..!

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विस्तार

प्रतिदिन विचार-राकेश  दुबे

02/11/2022

सारा विश्व जनता है कि “भारत ढाई दशकों से संयुक्त राष्ट्र में यह मांग करता आ रहा है कि आतंकवाद की सर्वमान्य परिभाषा निर्धारित होनी चाहिए|” इस  भारतीय प्रस्ताव को महासभा का समर्थन भी प्राप्त है, लेकिन कुछ शक्तिशाली देश अपने भू-राजनीतिक, सामरिक और कूटनीतिक हितों को साधने के लिए आतंकवाद पर ढुलमुल रवैया अपनाते रहे हैं| इस मुद्दे पर साफ और दो टूक बात होनी चाहिए | अभी ऐसा होता दिख नहीं रहा है, महत्वपूर्ण सवाल है इस पर कोई निर्णय कब होगा और कौन करेगा ?

यूँ तो  वैश्विक स्तर पर आतंकवाद की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की महत्वपूर्ण बैठक भारत में हुई है| मुंबई और दिल्ली में हुई इस बैठक में मुख्य रूप से आतंकी उद्देश्यों के लिए आधुनिक तकनीकों के उपयोग की चुनौती पर विचार-विमर्श की शुरुआत भर हुई है| आज  दुनिया के कई हिस्सों में आतंकी गिरोह इंटरनेट का इस्तेमाल कर हमलों को अंजाम दे रहे हैं, धन जुटा रहे हैं तथा अपने हिंसक विचारों का प्रसार कर रहे हैं. आतंकियों द्वारा ड्रोन का उपयोग भी बढ़ता जा रहा है|

गौर कीजिए ,भारत में ही ऐसी अनेक घटनाएं हो चुकी हैं, जिनके कारण हमारी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बड़ी संख्या में ड्रोन खरीदे गये हैं| भारत समेत कई देश यह मानते हैं कि आतंकी समूहों द्वारा आधुनिक तकनीक का उपयोग जहां एक गंभीर चुनौती है, वहीं सुरक्षा एजेंसियां भी चाहे तो तकनीक को व्यापक स्तर पर अपना कर आतंक की रोकथाम भी कर सकती हैं| इस बैठक के लिए भारत का चयन इसीलिए किया गया कि आतंकवाद जैसी बड़ी समस्या के समाधान में भारत बड़ी भूमिका निभा सकता है|

स्मरण कीजिए ,कुछ दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस हमारे देश की यात्रा पर आये थे| पुलिस के वैश्विक संगठन इंटरपोल की बड़ी बैठक भी हाल ही में दिल्ली में हुई थी| सुरक्षा परिषद की इस बैठक का एक हिस्सा मुंबई में होना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि २००८  में मुंबई में पाकिस्तान के समर्थन एवं संरक्षण में चल रहे आतंकियों ने हमला किया था| जो दुनिया के सबसे बड़े हमलों में एक है| गुटेरेस ने भी अपने दौरे में मुंबई पर हुए हमले की कड़ी निंदा की थी और मृतकों को श्रद्धांजलि भी  दी थी| इसके बावजूद विश्व का समर्थन न जाने किन कारणों से लंबित है |

यह बात वैसे किसी से छिपी नहीं है कि भारत ढाई दशकों से संयुक्त राष्ट्र में यह मांग करता आ रहा है कि आतंकवाद की सर्वमान्य परिभाषा निर्धारित होनी चाहिए| भारतीय प्रस्ताव को महासभा का समर्थन भी प्राप्त है, निहित स्वार्थ वश कुछ शक्तिशाली देश अपने भू-राजनीतिक, सामरिक और कूटनीतिक हितों को साधने के लिए आतंकवाद पर ढुलमुल रवैया अपनाते रहे हैंऔर अपना भी रहे हैं | अमेरिका और कुछ पश्चिमी देश पाकिस्तानी सरकार व सेना तथा आतंकी गिरोहों के गठजोड़ के बारे में अच्छी तरह जानते हैं, पर वे ठोस कार्रवाई से परहेज करते हैं|

जहाँ तक चीन का प्रश्न है,चीन भी पाकिस्तान का बचाव करता रहता है| पाकिस्तान में रहकर भारत के विरुद्ध आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले सरगनाओं को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव कई बार चीन के वीटो के कारण पारित नहीं होसके हैं |एक बात और विभिन्न देशों की खुफिया एजेंसियां भी आतंकी गिरोहों के जरिये अपना काम निकालती हैं| भारत कीस बात पर जो उचित ही है कि आतंकी बस आतंकी होते हैं, उन्हें अच्छे और खराब के श्रेणियों में नहीं बांटा जाना चाहिए|