विश्व में 2008 की आर्थिक मंदी के आसार बन गए हैं। चीन ने तो अमरीका को ‘किसी भी युद्ध’ की चेतावनी दे दी है, कनाडा बहुत गुस्से में है और उसने भी अमरीकी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाने का पलटवार किया है..!!
भारत पर शत प्रतिशत टैरिफ़ लगाने की घोषणा के साथ अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीति ने विश्व में व्यापार-युद्ध छेड़ दिया है। जो देश अमरीका के साथ व्यापार करते हैं अथवा प्रत्यक्ष रूप में व्यापार के साझेदार नहीं हैं, वे सभी देश प्रभावित होंगे।
विश्व में 2008 की आर्थिक मंदी के आसार बन गए हैं। चीन ने तो अमरीका को ‘किसी भी युद्ध’ की चेतावनी दे दी है। कनाडा बहुत गुस्से में है और उसने भी अमरीकी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाने का पलटवार किया है।
ये संपूर्ण व्यापार-युद्ध के हालात हैं, नतीजतन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे व्यापार, आर्थिक निवेश और व्यापार-नीतियां प्रभावित होंगी। ट्रम्प भूमंडलीकरण के खिलाफ काम कर रहे हैं और इसमें अमरीका का फायदा देख रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं होगा। इस व्यापार-युद्ध से अमरीका में महंगाई बढ़ेगी। शेयर बाजार और कंपनियों के कारोबार प्रभावित होंगे। अमरीकी बाजार 2.6 प्रतिशत तक गिरे हैं, यह बिल्कुल स्पष्ट है। भारत अभी तक संतुलित स्थिति में है। विशेषज्ञों के आकलन हैं कि भारत को फायदा होगा।
पहले तीन महीनों में ही भारत से अमरीका को निर्यात 10 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। इसके बुनियादी कारण भी हैं। चीन ने गेहूं, मक्का, कपास, चिकन पर 15 प्रतिशत और सोयाबीन, सुअर के मांस, बीफ, फल-सब्जियों और डेयरी उत्पादों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ थोप दिया है। अमरीकी सोयाबीन और कपास के लिए चीन सबसे बड़ा बाजार है। चीन बीफ, डेयरी उत्पाद, सुअर मांस और मुर्गी के मांस आदि का भी बड़ा खरीददार है। यदि अमरीकी उत्पाद महंगे हो जाएंगे, तो चीन ब्राजील, अर्जेन्टीना, पराग्वे सरीखे वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं से आयात कर सकता है।
इन स्थितियों में अमरीकी किसान, व्यापारी को नुकसान हो सकता है। गौरतलब यह है कि नवंबर 2024 के चुनाव में अमरीका के कृषि पर आश्रित लोगों और क्षेत्रों के करीब 78 प्रतिशत लोकप्रिय वोट ट्रम्प को मिले थे। यही नहीं, चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक सामान, मोबाइल, कंप्यूटर, वीडियो गेम्स और उपभोक्ता सामान भी महंगे होंगे। दरअसल यह व्यापार-युद्ध चीन, कनाडा, मैक्सिको बनाम अमरीका तक ही सीमित नहीं है। राष्ट्रपति टं्रप विश्व भर में इस्पात, अल्मूनियम पर 25 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा भी कर चुके हैं। यह 12 मार्च से प्रभावी होगा।
‘पारस्परिक टैरिफ’ की बात भी ट्रम्प करते रहे हैं, लिहाजा भारत इन स्थितियों से अछूता नहीं रह सकता। हालांकि भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (फियो) के अध्यक्ष एस. सी. रल्हन का मानना है कि भारतीय निर्यातकों को अमरीका में शिपमेंट बढ़ाने में मदद मिलेगी। राष्ट्रपति ट्रम्प ने 2019 में भी जब चीन पर अधिक टैरिफ लगाया था, तब भारत चौथा सबसे बड़ा लाभ पाने वाला देश था। इन परिस्थितियों में भारत अपने को एक विश्वसनीय, वैश्विक व्यापार-साझेदार के तौर पर स्थापित कर सकता है। वह अपने निर्यातकों को प्रोत्साहित करे, ताकि वे नए बाजार खंगाल सकें। इस संदर्भ में ब्रिक्स जैसा संगठन अपने देशों में विमर्श करे और वे एक सामान्य टैरिफ पर आपसी व्यापार को बढ़ा सकते हैं।