केंद्रीय बजट सत्र 2025, 31 जनवरी से शुरू हो रहा है, जो 4 अप्रैल तक आयोजित किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) इस बार आपना आठवां बजट पेश करने वाली हैं।
आम बजट को लेकर लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी अनंतिम कैलेंडर के अनुसार परंपरागत तरीके से आम बजट 2025 सत्र की शुरुआत 31 जनवरी को संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के साथ होगी।
इसके बाद उसी दिन आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लिखा, "भारत सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बजट सत्र 2025 के लिए 31 जनवरी, 2025 से 4 अप्रैल, 2025 तक संसद के दोनों सदनों को बुलाने को मंजूरी दे दी है।"
राष्ट्रपति मुर्मू 31 जनवरी को सुबह 11 बजे लोकसभा कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी।
वर्ष 2025 के बजट सत्र के प्रथम भाग में 31 जनवरी से 13 फरवरी तक नौ बैठकें आयोजित की जाएंगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देंगे, जबकि वित्त मंत्री सीतारमण बजट पर बहस का जवाब देंगी। पूरे बजट सत्र में 27 बैठकें होंगी और यह 4 अप्रैल को समाप्त होगा। वित्त मंत्री सीतारमण ने केंद्र में नई सरकार के गठन के कुछ ही हफ्ते बाद पिछले साल जुलाई में अपना सातवां बजट पेश किया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इससे पहले 2014 से 2017 तक पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। उन्होंने मई से नवंबर 2014 तक वित्त मंत्रालय और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया और फिर मई 2014 से सितंबर 2017 तक वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में कार्य किया। इस प्रकार उन्होंने स्वर्गीय मोरारजी देसाई के लगातार छह बजट पेश करने के रिकॉर्ड को तोड़ दिया और आठवीं बार बजट पेश करने जा रही हैं।
वर्ष 2025 का आम बजट मध्यम वर्ग के लोगों के लिए खास बताया जा रहा है। कर प्रणाली में बदलाव की संभावना है। बजट में मध्यम वर्ग को कर राहत देने के उपायों पर चर्चा की जा रही है। नई कर व्यवस्था के अंतर्गत व्यक्तियों को छूट मिल सकती है।
कॉर्पोरेट करों को सरल बनाने की भी योजना है। टीडीएस को भी सरल बनाया जा सकता है। वर्तमान में 15 लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय पर 30 प्रतिशत कर लगाया जाता है। इस छूट से शहरी क्षेत्रों में मांग बढ़ने की उम्मीद है। लोगों को राहत देने के लिए सरकार टैक्स स्लैब में बदलाव कर सकती है ताकि अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके।