क्या हमें अपने बीएमआई(बॉडी मास इंडेक्स) के बारे में इतनी चिंता करनी चाहिए?


स्टोरी हाइलाइट्स

क्या हमें अपने बीएमआई(बॉडी मास इंडेक्स) के बारे में इतनी चिंता करनी चाहिए?हैल्थ का लंबे समय से उपयोग किया जाने वाला संकेतक .. बीएमआई

   क्या हमें अपने बीएमआई(बॉडी मास इंडेक्स) के बारे में इतनी चिंता करनी चाहिए? हैल्थ का लंबे समय से उपयोग किया जाने वाला संकेतक उतना उपयोगी नहीं जितना हम सोचते हैं| यदि किसी व्यक्ति का बॉडी मास इंडेक्स(बीएमआई) निर्धारित मानक से ज्यादा होता है तो वो शरीर के लिए सही नहीं माना जाता है। हैल्थ के माप के रूप में बॉडी मास इंडेक्स पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करना जरूरी नहीं| बॉडी मास इंडेक्स, या बीएमआई का सामना न केवल डॉक्टर के क्लिनिक्स में करते हैं, बल्कि ऑनलाइन कैलकुलेटर, जिम और यहां तक ​​​​कि COVID-19 वैक्सीन के लिए पात्रता निर्धारित करते समय भी करते हैं। कैसे अपना बॉडी मास इंडेक्स तय करें: अपना वजन (किलोग्राम में) लें, और अपनी ऊंचाई X ऊंचाई (मीटर में) से विभाजित करें। बीएमआई(शरीर द्रव्यमान सूचकांक) = वजन (किलोग्राम) / (ऊंचाई X ऊंचाई (मीटर में)) यानी वेट लॉस या वजन कम करने के कुछ जरूरी और सरल उपाय 58 KG / (1.65M X 1.65M) = 21.32 कम वजन (बीएमआई 18.5 से कम) सामान्य वजन (18.5 से 24.9) अधिक वजन (25.0 से 29.9) मोटापा (30 या अधिक)। (भारत में पुरुष का आदर्श वजन 60 KG था, जिसे बढ़ा कर 65 किलोग्राम(KG) कर दिया गया। जबकि महिलाओं का आदर्श वेट 50 की बजाय 55 किलोग्राम माना जाता है। पुरुषों की आदर्श लंबाई(हाइट) 5 फुट 6 इंच से बढ़ाकर 5 फुट 8 इंच कर दी गई है, जबकि महिलाओं की बेस्ट फाइट 5 फुट की बजाय अब 5 फुट 3 इंच मानी जाती है।) शहद से वजन कैसे कम करें? गर्म शहद कभी ना लें|  कई लोग इन श्रेणियों के आधार पर निर्णय लेते हैं, द न्यूयार्क टाइम्स के मुताबिक अमेरिका में केवल एक चौथाई एडल्ट बीएमआई पैमाने पर खुद को "सामान्य" कह सकते हैं। लेकिन एपिडेमियोलॉजिस्ट, चिकित्सकों,मनोवैज्ञानिक और समाजशास्त्री में से कोई यह दावा नहीं करता कि बीएमआई एक व्यक्ति के हैल्थ का एक बहुत ही उपयोगी उपाय है। बीएमआई कैसे उपयोगी है? 1830 के दशक में बेल्जियम के एक सांख्यिकीविद्( statistician) द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जो मात्रात्मक(quantitatively) रूप से "औसत आदमी"(“average man,”) को डिस्क्राइब करना चाहता था, इस गणना को बॉडी मास इंडेक्स का नाम दिया गया था और 1970 के दशक में मिनेसोटा के फिजियोलॉजिस्ट डॉ एंसेल कीज़ द्वारा लोकप्रिय किया गया था। 1972 में 7,000 से अधिक स्वस्थ, ज्यादातर मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों के अध्ययन में, कीज़ और उनके सहयोगियों ने दिखाया कि बॉडी मास इंडेक्स बीमा उद्योग द्वारा उपयोग किए जाने वाले तरीकों की तुलना में शरीर में वसा का अधिक सटीक - और कहीं अधिक सरल - वर्णन कर सकता था। कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि "महामारी विज्ञान अनुसंधान में यह एक बहुत ही उपयोगी उपकरण है।" रिसर्च से पता चला है कि लोगों के बड़े समूहों में, उच्च बीएमआई आमतौर पर हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह और कुछ प्रकार के कैंसर के ज्यादा जोखिम से जुड़ा होता है। औसतन, हाई बॉडी मास इंडेक्स वाले लोगों के शरीर में फैट अधिक होता है, इसलिए यह मोटापे की स्थिति पर नज़र रखने के लिए उपयोगी हो सकता है, यह पिछले कई दशकों में वैश्विक स्तर पर लगभग तीन गुना हो गया है। इसका मृत्यु दर के साथ “J-shaped” संबंध भी है; बहुत कम और बहुत अधिक बीएमआई जल्दी मरने के अधिक जोखिम से जुड़े होते हैं, जबकि "सामान्य" से "अधिक वजन" की सीमा कम मृत्यु जोखिम से जुड़ी होती है। बीएमआई को मापना भी आसान और सस्ता है, यही वजह है कि आज भी रिसर्च अध्ययनों और डॉक्टर के कार्यालयों में इसका उपयोग किया जाता है। Latest Hindi News के लिए जुड़े रहिये News Puran से.