CJI चंद्रचूड़ ने की जस्टिस संजीव खन्ना को अगला CJI नियुक्त करने की सिफारिश


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स्टोरी हाइलाइट्स

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ रिटायर होने वाले हैं, इस बीच उन्होंने अगले मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश की है..!!

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल खत्म हो रहा है। उनके कार्यकाल में अब कुछ ही हफ्ते बचे हैं। इस बीच उन्होंने अगले मुख्य न्यायाधीश के नाम की सिफारिश की है। मिली जानकारी के मुताबिक, SC के अगले 'सर्वोच्च' जस्टिस जस्टिस खन्ना होंगे, जिनके नाम की सिफारिश CJI ने की है।

जस्टिस खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। उनका कार्यकाल करीब 6 महीने का होगा। वह 13 मई 2025 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहेंगे। वर्तमान में, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं।

जस्टिस संजीव खन्ना के बारे में खास बात यह है कि वह अभी तक किसी भी हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के तौर पर काम नहीं कर पाए हैं। अब वह सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत होने से पहले, वह दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थे।

मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले जस्टिस संजीव खन्ना ने डीयू से कानून की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने 1983 में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में पंजीकरण कराया और प्रैक्टिस शुरू की। उन्होंने पहले तीस हजारी कोर्ट और साकेत कोर्ट में प्रैक्टिस की थी। कुछ दिनों की प्रैक्टिस के बाद वह दिल्ली हाई कोर्ट चले गए।

न्यायमूर्ति खन्ना को पहली बार 24 जून 2005 को दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद एक साल के भीतर ही 20 फरवरी 2006 को उन्हें स्थायी जज नियुक्त कर दिया गया।

हाई कोर्ट में लगभग 13 साल बिताने के बाद, 12 दिसंबर, 2018 को तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने की सिफारिश की। इसके बाद वह 18 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज की भूमिका तक पहुंचे।

जस्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के दो अहम फैसलों में शामिल रहे हैं। वह चुनावी बांड को असंवैधानिक घोषित करने वाली पीठ में शामिल थे। इसके अलावा उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की प्रक्रिया और फैसले को सही ठहराया। अनुच्छेद 370 पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस खन्ना ने टिप्पणी की कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 असममित संघवाद की विशेषता है और संप्रभुता का सूचक नहीं है। इसके हटने से संघीय ढांचे पर कोई असर नहीं पड़ेगा।