नर्मदा नदी के किनारे भट्याण गांव के आश्रम में रहने वाले संत सियाराम बाबा का निधन हो गया है। बाबा के निधन से राजनीति जगत में शोक की लहर फैल गई है। बाबा का शव अंतिम दर्शनों के लिए भी रखा गया है।
बाबा के अंतिम दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी सियाराम बाबा के अंतिम दर्शनों के लिए खरगोन पहुंचे। सीएम ने सियाराम बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित की। सीएम डॉ. मोहन यादव ने बाबा के निधन को अपूर्णनीय क्षति बताया।
सियाराम बाबा कई दिनों से बीमार चल रहे थे। कुछ दिन पहले उन्हें निमोनिया होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाबा के निधन की ख़बर सामने आने के बाद उनके भक्तों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। बाबा नर्मदा माता और भगवान राम के परम भक्त थे। बाबा की उम्र 110 साल से भी अधिक बताई जाती है।
संत सियाराम बाबा का अंतिम संस्कार बुधवार शाम उनके आश्रम के पास नर्मदा तट पर किया जाएगा। उनके निधन की खबर मिलते ही भक्तों का आना शुरू हो गया। बड़ी संख्या में लोग बाबा के आश्रम पहुंच रहे हैं। बाबा को निमोनिया होने के बावजूद वह अस्पताल में रहने के बजाय अपने भक्तों से मिलने के लिए आश्रम में रहना चाहते थे। इसके चलते डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी।
संत सियाराम बाबा ने अपना आश्रम नर्मदा नदी के तट पर स्थापित किया था और यह 100 वर्ष से अधिक पुराना है। बाबा ने बारह वर्षों तक मौन व्रत रखा, जो भक्त उनसे मिलने आते थे और अधिक दान देना चाहते थे, बाबा ने उसे स्वीकार नहीं किया। वे केवल दस रुपये के नोट लेते थे और उस राशि का उपयोग आश्रम संबंधी कार्यों में करते थे। बाबा ने नर्मदा के तट पर एक वृक्ष के नीचे तपस्या की। अपना मौन व्रत तोड़ने के बाद उन्होंने जो पहला शब्द बोला वह था "सियाराम" और तभी से भक्त उन्हें इसी नाम से बुलाने लगे।