भोपाल: राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के दो कानूनों यथा सरोगेसी विनियमन अधिनियम 2021 एवं सहायता प्राप्त प्रौद्योगिकी विनियमन अधिनियम 2021 के तहत सरोगेसी क्लिनिक को रजिस्ट्रेशन देने हेतु स्टेट एपरोप्रियेट अथॉरिटी का गठन कर दिया है।
इस अथॉरिटी में प्रमुख सचिव स्वाथ्य पदेन अध्यक्ष, आयुक्त स्वास्थ्य पदेन उपाध्यक्ष नियुक्त किये गये हैं जबकि रीवा की पल्लवी खन्ना, अपर सचिव विधि विभाग, भोपाल की आईव्हीएफ विशेषज्ञ डॉ. आराधना गुप्ता तथा डॉ. मोनिका सिंह सदस्य बनाई गई हैं।
यह कार्य करेगी अथॉरिटी :
सरोगेसी क्लिनिक का पंजीकरण प्रदान करना, निलंबित करना या रद्द करना, सरोगेसी क्लीनिकों द्वारा पूरे किए जाने वाले मानकों को लागू करना, नियमों और विनियमों के प्रावधानों के उल्लंघन की शिकायतों की जांच करना तथा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कानूनी कार्रवाई करना, किसी व्यक्ति द्वारा निर्धारित स्थान के अलावा किसी अन्य स्थान पर सरोगेसी के उपयोग के विरुद्ध स्वप्रेरणा से या उसके संज्ञान में लाए जाने पर उचित कानूनी कार्रवाई करना तथा ऐसे मामले में स्वतंत्र जांच भी आरंभ करना, नियमों और विनियमों के प्रावधानों के कार्यान्वयन का पर्यवेक्षण करना, प्रौद्योगिकी या सामाजिक स्थितियों में परिवर्तन के अनुसार नियमों और विनियमों में अपेक्षित संशोधनों के बारे में बोर्ड और राज्य बोर्डों को सिफारिश करना सरोगेसी क्लीनिकों के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों की जांच के पश्चात कार्रवाई करना।
कौन होंगे पात्र :
मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रमाणित ऐसे दम्पत्ति जिनके बच्चे नहीं हो रहे हैं। सिर्फ परोपकार के लिये सरोगेसी हो सकेगी एवं वाणिज्यिक प्रयोजन में इसका उपयोग नहीं होगा। अण्डकोष देने पर प्रतिबंध रहेगा। कानून के उल्लंघन पर पांच साल तक की अवधि के कारावास और दस लाख रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा।
क्या होती है सरोगेसी :
सरोगेसी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कोई महिला (सरोगेट) किसी दूसरे व्यक्ति या दंपति के लिए बच्चे को जन्म देती है। सरोगेसी को आम भाषा में दूसरे की कोख भी कहते हैं। सरोगेसी उन महिलाओं के लिए एक विकल्प हो सकता है जो गर्भवती नहीं हो सकतीं या फिर अपने बच्चे को पैदा करने में असमर्थ हैं।