भोपाल: राज्य सरकार ने दो साल पहले चम्बल अभयारण्य का कुछ हिस्सा स्थानीय निवासियों की जरुरतों को पूरा करने के लिये डिनोटिफाई किया था जिसे अब निरस्त कर दिया गया है। यानि अब वहां चम्बल नदी से रेत उत्खनन नहीं हो सकेगा। यह कार्यवाही सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश एवं वर्तमान में एनजीटी में चल रहे प्रकरण के कारण के कारण किया गया है।
उल्लेखनीय है कि 31 जनवरी 2023 को वन मंडल मुरैना जिला श्योपुर की तहसील बढ़ौदा के घाट बड़ौदिया बिन्दी के अंतर्गत आने वाले राजस्व ग्राम कुंहाजापुर, बड़ौदिया घाट का 9.489, तहसील जौरा के घाट बरवासिन के अंतर्गत आने वाले राजस्व ग्राम खाण्डोली एवं तहसील मुरैना के राजस्व ग्राम कैथरी का 118.66 तथा तहसील मुरैना के घाट राजघाट के अंतर्गत आने वाले राजस्व ग्राम भानपुर व पिपरई का 73.90 हैक्टेयर चम्बल अभयारण्य से बाहर करने हेतु डिनोटिफिकेशन जारी किया गया था।
इसके बाद मालूम पड़ा कि डिनोटिफाई एरिया अभी भी ईको सेंसेटिव जोन में आ रहा है जिसमें रेत उत्खनन पर प्रतिबंध रहता है। इस पर वन विभाग ने ईको सेंसेटिव जोन भी खत्म करने की तैयारी की। परन्तु कुछ व्यक्ति एनजीटी में चले गये जिसमें सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का हवाला दिया गया। एनजीटी ने रेत उत्खनन रोकने एवं संरक्षण के निर्देश दिये जिसके क्रियान्वयन पर अब राज्य के वन विभाग को दो साल पहले जारी डिनोटिफिकेशन की सूचना निरस्त करना पड़ी है तथा अवैध रेत उत्खनन पर सतत कार्यवाही करने के तथ्य बताये हैं।