दोस्तों, ज्योतिष में रोगों से मुक्ति के लिए अनेक उपाय किए गए हैं आज हम यहां ऐसे ही उपायों की चर्चा करेंगे जो आपको रोग दोषों से दूर रखेंगे। आज के समय में रोग कभी भी किसी को भी हो सकता है इसलिए भौतिक और एलोपैथिक या अन्य पैथी के उपायों के साथ ज्योतिषीय उपाय भी कर लेना चाहिए।
निरोगी दुनिया के मुताबिक ..
रोग निवारण हेतु उपाय-
(1) अपनी जन्म कुंडली के लग्न भाव एवं लग्नेश को बली करने हेतु लग्नेश का रत्न, यंत्र एवं जड़ी धारण अवश्य करनी चाहिये। लग्न लग्नेश, शरीर रूपी भवन की नींव है। तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता है, अतः ऐसा करने से रोग का प्रहार कम होगा व आप स्वस्थ बने रहेंगे।
(2) माह में एक बार अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा परोपकार, धर्म, दान-पुण्य में अवश्य खर्च करना चाहिए जिससे दवाओं पर खर्च होने वाला पैसा सद्कार्यों में लगे।
(3) माह में एक बार किसी भी वार को 7 अनाज स्वेच्छा से उचित मात्रा से मिला कर अपने ऊपर 7 बार उसार लें तथा नवग्रह के मंत्र 11-11 मंत्रों का जप करके अनाज को पक्षियों को चुगने हेतु डाल दें। इससे नवग्रह प्रसन्न होंगे।
(4) यदि मंगल आपके लिये कष्टकारक है तो 2-4 माह के अंतराल में स्वेच्छा से रक्तदान करें। मंगल चूंकि रक्तपात एवं चोट देखना चाहता है। रक्तदान से आपका रक्त शरीर से पृथक् हो जाता है। इससे मंगल का भी कार्य पूरा हो जाता है और आप परोपकार कर किसी का जीवन भी बचाते हैं।
(5) दुर्घटना, आयु को खतरा होने का भय होने पर आप नित्य महामृत्युंजय मंत्र की एक माला (108 बार मंत्र) जाप रुद्राक्ष की माला से करें।
(6) औषधि अपने भवन के उत्तर- पूर्वी क्षेत्र (ईशान कोण) में ही रखें। इससे वह अमृततुल्य कार्य करती है। औषधि लेने से पूर्व निम्न मंत्र का 11 बार जाप करें, इससे वह शीघ्र लाभ प्रदान करती है-
मंत्र: ॐ अच्युत्यायै नमः ॐ अनन्ताय नमः ॐ गोविन्दाय नमः।
(7) अत्यंत गंभीर रोग की स्थिति में बजरंग बाण या हनुमान बाहुक का नित्य पाठ करें तथा इस पाठ से अभिमंत्रित जल रोगी को पिलाएं। यह अत्यंत अमोघ अस्त्र की तरह कार्य करता है। अभिमंत्रित जल हेतु पाठ करने से पूर्व तांबे के लोटे में जल एवं तुलसी दल डालकर लकड़ी के पट्टे पर रख लें तथा रोगी के स्वस्थ होने की कामना करें। पाठ करने के बाद इस तुलसी दल व जल को रोगी को पिला दें।
नक्षत्र ज्योतिष संस्थान जयपुर