चामुंडा माताजी मंदिर: दुनिया का इकलौता मंदिर, जहां माताजी के तीन रूपों के दर्शन होते हैं एक साथ


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स्टोरी हाइलाइट्स

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के विधान से मां की पूजा के पर्व की शुरुआत होती है..!

हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व माना गया है. नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा और व्रत का विशेष महत्व है. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के विधान से मां की पूजा के पर्व की शुरुआत होती है.

त्रिमुखी चामुंडा माताजी मंदिर दुनिया का इकलौता मंदिर है जहां माताजी के तीन रूपों अंबिका, नवदुर्गा और महाकाली के दर्शन एक साथ होते हैं.

गुजरात के वलसाड से करीब 8 किमी दूर पारनेरा पहाड़ी किले में निवास करती हैं त्रिमुखी चामुंडा माताजी. कहा जाता है कि यह पेशवा काल का किला है.

माताजी की पहाड़ी तक पहुँचने के लिए चढ़नी पड़ेगी 1000 सीढ़ियां-

मां चामुंडा एक ऊंची पहाड़ी पर विराजमान होकर भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं. त्रिमुखी चामुंडा माताजी तक पहुंचने के लिए भक्तों को एक बड़ी पहाड़ी पर चढ़ना पड़ता है. जहां करीब 1000 सीढ़ियां हैं. इस चढ़ाई पर चढ़ने के लिए ट्रस्ट की ओर से कई सुविधाएं भी तैयार की गई है.

मंदिर में गरबा का विशेष महत्व- 

पहाड़ी के रास्ते में किले के दक्षिण में एक गुफा है वहां पर माता का मंदिर है. चैत्र नवरात्रि की अष्टमी को यहां मेला लगता है जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं. नवरात्रि में माताजी के मंदिर में गरबा खेलने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. यहां करीब तीन लाख लोग मेले में हिस्सा लेने आते हैं.

यहां स्थित है ऐतिहासिक किला- 

पारनेरा की इस पहाड़ी पर शिवाजी महाराज का ऐतिहासिक किला बना हुआ है. साथ ही यहां पेशवा काल के 3 ऐतिहासिक स्थल भी हैं. इन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.

माताजी के मंदिर में सुबह और शाम की आरती की जाती है. यह तीर्थ कई लोगों की आस्था का केंद्र भी है.