भोपाल: प्रदेश के 11 नेशनल पार्कों, 7 टाईगर रिजर्वों एवं 24 वन्यप्राणी अभयारण्यों की सीमा एवं उससे आगे इको सेंसेटिव जोन की डिजिटल बाउण्ड्री अब तक नहीं बन पाई है। वन विभाग के एसीसएस अशोक बर्णमाल ने संबंधित जिला कलेक्टरों, फील्ड डायरेक्टरों एवं डीएफओ को रिमाईन्डर भेज कर यह कार्य जल्द पूर्ण करने के लिये कहा है।
रिमाईन्डर में बर्णमाल ने कहा है कि ईज आफ डूईंग बिजनेस के तहत आम लोगों को जानने का अधिकार है कि पार्क, रिजर्व व अभयारण्यों की सीमा कहां है तथा इससे आगे ईको सेंसेटिव जोन की सीमा कहां तक है।
दरअसल यह डिजिटल बाउण्ड्री राजस्व रिकार्ड में बननी है। इसके लिये राजस्व विभाग ने भी सहमति प्रदान की थी और दो माह पहले यह डिजिटल बाउण्ड्री बनाने के निर्देश जारी हुये थे परन्तु मात्र चार स्थानों की ही डिजिटल बाउण्ड्री बन पाई जबकि दो दर्जन से अधिक स्थानों पर यह बनना है।
उल्लेखलीय है कि डिजिटल बाउण्ड्री बनने से व्यक्ति को पता चल सकेगा कि वन एवं ईको सेंसेटिव सीमा कहां तक है तथा इस आधार पर वह अपने निर्माण, व्यवसायिक गतिविधियां आदि संचालित कर सकता है। ज्ञातव्य है कि वन्यप्राणी क्षेत्रों में खनन एवं निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित है जबकि ईको सेंसेंटिव जोन में निर्माण रेगुलेटेड यानि विनियमित है अर्थात सक्षम अनुमति लेकर अनुमत्य निर्माण कार्य किये जा सकते हैं।