Dindori News: नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़, स्कूल में पढ़ने की बजाए ईंटें ढोने को मजबूर हुए मासूम


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स्टोरी हाइलाइट्स

Dindori News: MP के डिंडोरी में सामने आई तस्वीर सोचने पर कर देगी मजबूर, स्कूल परिसर में चल रहा शौचालय का निर्माण कार्य, जिसके लिए हेड मास्टर बच्चों से ईंटें ढुलवा रहे हैं..!

Dindori News: कहने को तो मध्य प्रदेश विकास की राह पर लगातार आगे बढ़ रहा है। औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने प्रदेश की धरती पर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट होने जा रही है। लेकिन इसी मध्य प्रदेश की एक और तस्वीर जिसमें नौनिहालों के भविष्य के साथ ही प्रदेश की तकदीर के साथ खिलवाड़ करने में कोई गुरेज नहीं है।

मामला मप्र की सीमा में आने वाले डिंडोरी का है। डिंडोरी जो कि आदिवासी बाहुल्य इलाका है। यहां योजनाओं के नाम पर अरबों का खेला खेला जा रहा है।  जिला मुख्यालय से सिर्फ सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं लुटगांव। जहां शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षा के विकास के दावों की पोल खुलती नज़र आ रही है।

जी हां गांव लुटगांव में मौजूद इस प्राइमरी स्कूल में नौनिहाल पढ़ने लिखने और अपना भविष्य संवारने के उद्देश्य से आए थे, लेकिन मास्टर जीने बच्चों को बेगारी यानि कि मजदूरी में लगा दिया। दरअसल यहां एक प्राथमिक विद्यालय के परिसर में शौचालय का निर्माण कार्य चल रहा है, जिसके लिए मासूम बच्चों को ईंटें उठाने के लिए मजबूर किया गया। ग्रामीणों का कहना है कि शौचालय निर्माण के दौरान छोटे बच्चों से कई तरह के काम कराए गए और ईंटों की ढुलाई भी करवाई गई।

गांव के ही एक जागरूक युवक ने इस घटना का वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। इसके बाद, स्कूल में बच्चों से काम करवाए जाने की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो गए। मिली जानकारी के अनुसार यह पूरी घटना शुक्रवार 14 फरवरी 2025 को घटित हुई। 

स्कूल के सामने रहने वाले जागरूक युवक रामचंद्र ने बताया कि जब उसने स्कूल के प्रिंसिपल को मासूम बच्चों से ईंटें ढुलवाते देखा तो वह स्कूल गया और बच्चों से काम करवाने की शिकायत की, लेकिन प्रिंसिपल ने उसकी एक न सुनी। इसके बाद उन्होंने पूरी घटना को अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया।

ग्रामीणों और अभिभावकों ने बच्चों से काम कराने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ ही दिनों में परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं, लेकिन स्कूल प्रिंसिपल बच्चों को पढ़ाने की बजाय उनसे काम करवा रहे हैं।

स्कूल में बच्चों से जबरन काम करवाने का यह पहला मामला नहीं है, ऐसे मामले आए दिन सामने आते रहते हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसका खामियाजा मासूम बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। दूसरी ओर, जिम्मेदार अस्पष्ट बातें बोलकर अपनी जिम्मेदारियों से बच रहे हैं।

वीडियो सोशल मीडिया पर आम हुआ तो मामला तो गर्म हो गया लेकिन जिम्मेदारों को कोई फर्क नहीं पड़ा।

माता पिता इस आशा में कि बच्चा स्कूल में पढ़ लिख कर अपना भविष्य बना रहा है लेकिन असल में मासूम यहां हाथ में पुस्तक सम्हालने के बजाय ईंट का बोझ उठाए मजदूरी कर रहे हैं। मामला गंभीर है। अब शायद कुछ औपचारिक कदम उठ जाए लेकिन सोच और जिम्मेदारी की गंभीरता कैसे आएगी यह बड़ा सवाल है।