Dol Gyaras 2024: क्यों मनाई जाती है डोल ग्यारस? जानें इस दिन डोल निकालने का कारण और महत्व


Image Credit : X

स्टोरी हाइलाइट्स

Dol Gyaras 2024: सर्वाथ सिद्धि योग में मनाई जा रही डोल ग्यारस, शुरु हुई भगवान गणेश की विदाई..!!

Dol Gyaras 2024: डोल ग्यारस के अवसर पर देश के सभी प्रमुख कृष्ण मंदिरों में पूजा-अर्चना होती है। भगवान कृष्ण की मूर्ति को एक डोल में विराजमान कर उनको नगर भ्रमण कराया जाता है। इस अवसर पर कई शहरों में मेले, चल समारोह, अखाड़ों का प्रदर्शन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

शनिवार 14 सितम्बर को सर्वार्थ सिद्धि योग में डोल ग्यारस मनाया जा रहा है, इस दिन भगवान श्री कृष्ण की भव्य पूजा-अर्चना की जा रही है।

भाद्रपद शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की बड़े ही हर्षोल्लास के साथ पूजा की जाती थी। इसीलिए इसे डोल ग्यारस कहा जाता है।

इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है।  परिवर्तिनी एकादशी का व्रत सभी दुखों को दूर कर मोक्ष प्रदान करता है।

परिवर्तिनी एकदशी को पार्श्व एकदशी, वामन एकदशी, पद्मा एकदशी, जयजुलनी एकदशी और जयंती एकदशी के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन भगवान विष्णु ने राजा बलि से सब कुछ दान में मांग लिया और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्होंने अपनी एक मूर्ति राजा बलि को सौंप दी।

इसके साथ ही डोल ग्यारस पर भगवान राधा-कृष्ण की कई सुंदर झांकियां भी लगाई जाती हैं।

डोल ग्यारस की पूजा का समय

इस दिन श्रवण नक्षत्र है। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:28 बजे से 12:17 बजे तक रहेगा। अमृत ​​काल शाम 5 बजकर 26 मिनट से 7 बजे तक रहेगा। शाम का समय 5 बजकर 48 मिनट से 6 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।