नेपाल में शुक्रवार सुबह 6.1 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप के झटके पूरे हिमालयी क्षेत्र में महसूस किये गये। भूकंप के झटके दो बार महसूस किये गये। पहली बार भूकंप काठमांडू के पास आया था और दूसरी बार बिहार सीमा के पास आया था। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, भूकंप का केंद्र नेपाल था। इस भूकंप में अभी तक किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है।
नेपाल में शुक्रवार सुबह 6.1 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया, जिससे जोरदार कंपन हुआ। राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र ने पुष्टि की है कि भूकंप का केंद्र काठमांडू से लगभग 65 किलोमीटर पूर्व में सिंधुपालचौक जिले के भैरवकुंड में था। भूकंप स्थानीय समयानुसार सुबह 2:51 बजे आया, जिससे नेपाल के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में दहशत फैल गई।
भूकंप नेपाल के सिंधुपालचौक जिले के भैरव कुंडा के पास सुबह 2.35 बजे आया। जर्मन भूविज्ञान अनुसंधान केंद्र ने भूकंप की तीव्रता 6.1 मापी, जबकि भारत के राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने इसकी तीव्रता 5.5 बताई।
ऐसा माना जा रहा है, कि भूकंप बहुत शक्तिशाली था। 6.1 तीव्रता का भूकंप शक्तिशाली माना जाता है और इससे काफी क्षति हो सकती है। इस दौरान इमारतों में दरारें भी आ सकती हैं। साथ ही जान-माल का बड़ा नुकसान भी हो सकता है।
नेपाल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "इससे हमारी नींद में खलल पड़ा । हम अपने घरों से बाहर निकल आए हैं। लोग अब अपने घरों को लौट गए हैं। हमें अभी तक किसी नुकसान की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है।"
वहीं, लोगों ने ऑनलाइन वीडियो साझा किए, जिनमें पटना में भूकंप के कारण इमारतें और छत के पंखे हिलते हुए दिखाई दे रहे हैं। एक एक्स यूजर ने बताया कि भूकंप के झटके करीब 35 सेकंड तक रहे।
एक अन्य यूजर ने लिखा, 'बिहार के पटना में भूकंप का तेज झटका महसूस किया गया। सब कुछ हिल रहा था, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ।
पाकिस्तान में भी 28 फरवरी सुबह 05.14 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.5 मापी गई। बारह दिन पहले, 16 फरवरी 2025 को भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में शक्तिशाली भूकंप आया था, जिसका केंद्र रावलपिंडी के पास था।
पाकिस्तान में महसूस किये गये भूकंप के झटकों से किसी प्रकार के नुकसान की कोई खबर नहीं है। यह जानकारी राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र द्वारा दी गई है। भूकंप का केन्द्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था।
पाकिस्तान में आए भूकंप ने एक बार फिर हिमालयी क्षेत्र और आसपास के इलाकों की भूकंपीय संवेदनशीलता को उजागर कर दिया है। टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल के कारण आने वाले भूकंप प्राकृतिक आपदाएं हैं जिनसे निपटने के लिए सतर्कता की आवश्यकता होती है।