महाकाल मंदिर में भस्म आरती से जुड़े एक अवैध वसूली रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। यह रैकेट मंदिर गेट से लेकर नंदी हॉल तक सक्रिय था। मंदिर प्रबंधन से जुड़े 3 लोग, मीडिया से जुड़े 3 लोग और सुरक्षा से जुड़े 2 लोगों को हिरासत में लिया गया है। ये लोग भस्म आरती करने के लिए लोगों से 1,000 से 10,000 रुपये तक वसूल रहे थे।
दिन में भी वह दर्शन के लिए भक्तों से पैसे लेते थे और उन्हें वीआईपी ट्रीटमेंट देता था। पिछले 10 दिनों से पूरे मामले की जांच की जा रही है। इससे पहले 8 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। पूछताछ के बाद मंदिर प्रबंधन से जुड़े 5 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस उन्हें जल्द ही गिरफ्तार करने की भी बात कह रही है।
उज्जैन के स्थानीय निवासियों और मंदिर परिसर के आसपास छोटी-छोटी दुकानें लगाने वालों के बीच इस रैकेट को लेकर चर्चा थी। हैरानी की बात यह है कि मंदिर समिति के जिन अधिकारियों पर व्यवस्था की जिम्मेदारी थी, वही इस वसूली रैकेट को चला रहे थे। वे धन इकट्ठा करते थे और सामान्य दर्शन की सुविधा देते थे, लेकिन बड़ी कमाई भस्म आरती से होती थी।
महाकाल मंदिर में देशभर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं इसलिए यहां काफी भीड़ होती है। इस भीड़ और यहां की व्यवस्था को संभालने के लिए प्रोटोकॉल बनाए गए हैं। मंदिर में दो तरह के प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है। एक मंदिर के अंदर मंदिर समिति का प्रोटोकॉल और दूसरा बाहर यानी पुलिस का प्रोटोकॉल। ताजा मामला मंदिर समिति के आंतरिक प्रोटोकॉल में हुए घोटाले से जुड़ा है।
प्रोटोकॉल हॉस्पिटेलिटी ऑफिसर अभिषेक भार्गव 2010 से मंदिर में तैनात हैं। बाहरी प्रोटोकॉल यानी पुलिस, प्रशासन, नेताओं और कुछ एनजीओ को प्रोटोकॉल के जरिए भस्म आरती के दर्शन की इजाजत देने का अधिकार था। उसके पास कोटा बढ़ाने या घटाने की शक्ति भी थी। कोटा कम कभी नहीं होता, बार-बार कोटा बढ़ाया जाता था।
मंदिर के आईटी विभाग के प्रभारी राजकुमार सिंह ऑनलाइन बुकिंग प्रक्रिया के सबसे वरिष्ठ अधिकारी थे, वे 2006 से मंदिर में तैनात थे। ऑनलाइन बुकिंग बढ़ाना या घटाना उनके हाथ में था। वे यात्रियों से 1 से 10 हजार रुपये वसूलते थे और उन्हें तुरंत 250 रुपये में वीआईपी भस्म आरती दर्शन टिकट उपलब्ध कराते थे।
भस्म आरती के प्रभारी रितेश शर्मा 2007 से मंदिर का प्रबंधन कर रहे हैं। वह संपूर्ण भस्म आरती के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार थे। कौन अंदर जाएगा और कौन नहीं, इसका अंतिम निर्णय उन्हीं का था। उनके एक इशारे पर कोई भी नंदी हॉल तक पहुंच सकता है और किसी को भी बाहर निकाला जा सकता है।
तीन सरगनाओं के अलावा पांच अन्य लोग भी हैं जो आगंतुकों के सीधे संपर्क में थे। ग्राहक लाना उसकी जिम्मेदारी थी। जिसमें स्वच्छता निरीक्षक विनोद चौकसे, दर्शन प्रभारी राकेश श्रीवास्तव व राजेंद्र सिंह सिसौदिया, गार्ड ओम प्रकाश माली व जितेंद्र सिंह पंवार शामिल हैं।
मंदिर में दो कंपनियां काम कर रही हैं। पहला केएसएस जो मंदिर की सफाई और कंप्यूटर कामकाज का ख्याल रखता है। एक और क्रिस्टल जो सुरक्षा का ख्याल रखता है। आरोपियों में इस कंपनी के दो कर्मचारी भी शामिल हैं।
नंदी हॉल प्रभारी उमेश पंड्या का नाम भी सामने आया है। भस्म आरती के दर्शन करने वाले भक्त नंदी हॉल में ही बैठते हैं। उस हॉल में कौन प्रवेश कर सकता है और कौन नहीं, इसकी पूरी जिम्मेदारी उमेश पंड्या की थी। उन्होंने इस शक्ति का भरपूर लाभ उठाया। जनरल परमिशन ऑफिसर काशी शर्मा भी आरोपी हैं। उनकी अनुमति से कोई भी व्यक्ति भस्म आरती के लिए नंदी हॉल में बिना किसी रोक-टोक के प्रवेश कर सकता है।
पुलिस ने अब तक अभिषेक भार्गव, राजकुमार सिंह, रितेश शर्मा, विनोद चौकसी, राकेश श्रीवास्तव, राजेंद्र सिंह सिसौदिया, ओम प्रकाश माली और जितेंद्र सिंह पंवार को गिरफ्तार किया है। रितेश शर्मा को जेल भेज दिया गया है। दो दिन की पूछताछ के बाद पुलिस ने 5 अन्य लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।
इनमें दो मंदिर प्रबंधन अधिकारी, एक सुरक्षा कंपनी पर्यवेक्षक और दो स्थानीय यूट्यूबर शामिल हैं, जो खुद को पत्रकार कहते हैं। पंकज शर्मा और विजेंद्र यादव यूट्यूबर हैं। करण सिंह पंवार क्रिस्टल सिक्योरिटी कंपनी में सुपरवाइजर हैं। यह कंपनी मंदिर की सुरक्षा का काम देखती है।