फूट भारत का मेवा-दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

फटा मन और फटा दूध जुड़ते नहीं हैं.

फूट भारत का मेवा -दिनेश मालवीय हिन्दी लोकोक्तियाँ-42 1.   फटा मन और फटा दूध जुड़ते नहीं हैं. किसीसे मन फट जाए तो फिर पहले जैसा स्नेह नहीं रह सकता, जैसे दूध फटने पर पहले जैसा नहीं हो सकता. 2.   फल खाना आसान नहीं. बिना मेहनत के कुछ नहीं मिलता. 3.   फिर बंदा मोची का मोची बहुत मेहनत करने पर भी कामयाब नहीं होने पर कहते हैं. 4.   फूट भारत का मेवा है. फूट नाम का फल भारत में ही पाया जाता है. इसे व्यंग्य के रूप में भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ धर्म,सम्प्रदाय, जाति आदि के नाम पर बहुत फूट है. 5.   फूटे भाग फकीर का, भरी चिलम गिर जाए. बुरा समय आता है, तो बने हुए काम भी बिगाड़ जाते हैं. 6.   फूल सुगंध से, मनुष्य यश से. फूल की पहचान उसकी सुगंध से और मनुष्य की पहचान उसकी प्रतिष्ठा से होती है. 7.   फूल सूंघकर रहते हैं. बहुत कम खाने वाले के लिए व्यंग्य से कहा जाता है. 8.   बंजर गाँव में अरंड ही पेड़. जिस गाँव में पेड़ नहीं होते, वहाँ अरंड ही पेड़ होता है. जिस जगह विद्वान नहीं होते, वहाँ थोड़ा जानने वाला ही प्रतिष्ठा पा जाता है. 9.   बन्दर का क्रोध तबेले के सिर जब किसी बलवान पर गुस्सा आता है, तो व्यक्ति उसे किसी कमज़ोर पर उतारता है. 10.  बन्दर के हाथ में मोतियों की माला. किसी योग्य व्यक्ति के पास बहुमूल्य चीज़ होने पर कहते हैं. 11.  बन्दर घुड़की देना. नकली भय दिखाना. 12.  बंदा बशर है. आदमी तो आदमी है. उससे भूल होना स्वाभाविक है. 13.  बकरी के भाग्य  में छुरी ही है. अच्छा काम करने वाले को बुरा फल मिलने पर कहते हैं. 14.  बकरे की अम्मा कब तक खेर मनाएगी. जो हानि अवश्य ही होनी हो, उसके लिए कहते हैं. 15.  बक्त उड़ गया, बुलंदी रह गयी. समय चला गया, केवल रोब ही रह गया. 16.  बगल में छोरा, गाँव में ढिंढोरा. ऐसी चीज की तलाश करना, जो पास में ही हो. 17.  बागला भगत बना है. पाखण्डी के लिए कहते हैं. 18.  बच्चा गधे का भी सुंदर. अपना बच्चा सभीको सुन्दर लगता है. 19.  बच्चे बड़ों को लड़कर फिर एक. बच्चों की लड़ाई में बड़ों को नहीं पढ़ना चाहिए. 19.  बकरी खूँटे के बल कूदती है. कमज़ोर व्यक्ति किसी बलवान के भरोसे ही अकड़ता है. 20.  बड़ा टूटकर भी बड़ा रहता है. बहुत धनवान व्यक्ति निर्धन भी हो जाए, तो उसके पास काफी धन रहता है.