पंजाब नेशनल बैंक से 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर देश छोड़कर भागे हीरा कारोबारी मेहुल चौकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है। भारतीय बैंकों से अवैध रूप से ऋण लेकर अपने भतीजे नीरव मोदी के साथ फरार हुए उद्योगपति मेहुल चौकसी को बेल्जियम में पकड़ लिया गया।
बताया जा रहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने चौकसी की गिरफ्तारी को लेकर दबाव बनाया था। अब चौकसी को जल्द ही भारत लाया जा सकता है, क्योंकि भारत और बेल्जियम के बीच प्रत्यर्पण संधि है।
2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और बेल्जियम के मध्य प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaty) पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी थी। भारत और बेल्जियम के बीच होने वाली इस नए समझौते ने 1901 में ब्रिटेन और बेल्जियम के बीच हुई संधि का स्थान लिया, जो स्वतंत्रता हासिल करने से पूर्व भारत पर भी लागू हो गई थी।
फिलहाल वह संधि ही भारत और बेल्जियम के बीच लागू है। चौकसी ने एंटीगुआ और बरबूडा की नागरिकता हासिल कर ली थी। भारत की इस देश के साथ कोई प्रत्यपर्ण संधि नहीं है। जब चौकसी बेल्जियम आया तभी से एजेंसियां एक्टिव हो गई थीं। कभी 'डायमंड किंग' के नाम से मशहूर मेहुल चोकसे को 'स्कैम किंग' का नाम मिल गया। चाचा-भतीजे की जोड़ी ने ऐसी साजिश रची कि जांच एजेंसियां भी दंग रह गईं।
मेहुल चौकसी ने साल 1975 में रत्न एवं आभूषण क्षेत्र से अपना करियर शुरू करने वाले चौकसी ने 1985 में अपने पिता की कंपनी गीतांजलि जेम्स का कारोबार संभाला। अपने पिता की कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने अपनी कंपनी के साथ मिलकर 70 ब्रांड विकसित किये।
नक्षत्र, डी डमास, गिली, अस्मि, विवाह गोल्ड जैसे कई ब्रांड बनाए। कारोबार न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी फैल गया। अकेले चीन में शंघाई और बीजिंग सहित 20 से अधिक स्टोर खोले गए। उनका प्रभाव इतना था कि भारत के संगठित आभूषण बाजार में उनकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत थी। गीतांजलि जेम्स का सालाना टर्नओवर 13,000 करोड़ रुपये से अधिक था, लेकिन लालच ने मेहुल चौकसी को बर्बादी के रास्ते पर धकेल दिया।
डायमंड किंग के नाम से मशहूर मेहुल को अन्तर्राष्ट्रीय हीरा व्यवसायी के रूप में पहचान मिली। भारत के साथ व्यापार अमेरिका, मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया तक फैल गया। गीतांजलि के भारत में 4000 से अधिक स्टोर थे। बड़े सेलिब्रिटी और बॉलीवुड सितारे इस ब्रांड का प्रचार करते थे।
मेहुल चौकसी और नीरव मोदी ने पीएनबी की मुंबई शाखा के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर धोखाधड़ी से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग हासिल कर ली।
आपको बता दें कि LOU का मतलब बैंक गारंटी है जो भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं से अल्पकालिक ऋण प्राप्त करने में मदद करता है। दोनों ने इसका इस्तेमाल कर कंपनी के नाम पर बैंक से बड़ी रकम ली और उसका दूसरे कामों में इस्तेमाल किया। जब यह घोटाला उजागर हुआ तो मेहुल चौकसी और नीरव मोदी दोनों भाग गए।
जांच के दौरान बैंक को इस घोटाले का पता चला। मामला सीबीआई तक पहुंचा और 7 फरवरी 2018 को दूसरी शिकायत दर्ज की गई। नीरव मोदी ग्रुप, मेहुल चौकसी के गीतांजलि ग्रुप और चंद्री पेपर एंड एलाइड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। ईडी ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। 14,000 करोड़ रुपये के इस घोटाले में मेहुल चौकसी और उसके भतीजे नीरव मोदी के अलावा उनके परिवार के कुछ अन्य सदस्य और बैंक अधिकारी भी शामिल थे।
माना जा रहा है कि शराब कारोबारी और भगोड़े विजय माल्या को भी भारत लाया जा सकता है। नीरव मोदी लंदन में मनी लॉन्ड्रिंग मामले को लेकर कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहा है। वहीं, पूर्व उद्योगपति और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के संस्थापक ललित मोदी ने वनआतु की नागरिकता हासिल कर ली है। इसका मतलब है कि ललित मोदी को स्वदेश लाना अब और मुश्किल हो गया है। 15 वर्ष पहले भारतीय जांच एजेंसियों की आंखों में धूल झोंककर विदेश भाग चुके ललित मोदी ने न सिर्फ भारतीय नागरिकता छोड़ने का आवदेन भारत सरकार को भेजा है।