भोपाल: ग्वालियर नगर निगम की पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता, पूर्व नेता प्रतिपक्ष शम्मी शर्मा सहित आईएएस अधिकारी एनबीएस राजपूत, विनोद शर्मा तथा वेदप्रकाश शर्मा के खिलाफ न्यायालय में अभियोजन (चालान) पेश करने लोकायुक्त ने अनुमति मांगी है। पूर्व महापौर आदि पर आर्थिक सहायता मंजूर करने के नाम पर रिश्तेदारों और भाजपा नेताओं उपकृत किए जाने के मामले में दस साल से भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज है।
सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी कार्मिक) ने नवंबर 2024 में प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास को पत्र लिखते हुए अपराध क्रमांक 283/2017 में पूर्व आईएएस अधिकारी एवं नगर निगम कमिश्नर रहे वेदप्रकाश शर्मा, एनबीएस राजपूत तथा विनोद शर्मा के विरुद्ध न्यायालय में अभियोजित करने की अभियोजन स्वीकृति के मामले में सुस्पष्ट अभिमत मांगा गया है।
इन अधिकारियों के आलावा ग्वालियर नगर निगम की तत्कालीन महापौर समीक्षा गुप्ता, नेता प्रतिपक्ष शम्मी शर्मा तथा पूर्व पार्षद डॉ. अंजली रायजादा भी इस भ्रष्टाचार में आरोपी बनाई गई हैं। लेकिन दस साल बीतने के बाद भी सरकार ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अभी तक न्यायालय में चालान पेश करने के लिए अभियोजन की मंजूरी नहीं दी है।
जीएडी कार्मिक ने पत्र में कहा है कि इन अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (1) डी, 13 (2) एवं 120 बी भादवि के अंतर्गत धारा 19 (1) में लोकायुक्त से अभियोजन स्वीकृक्ति दिए जाने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। लोकायुक्त ने पत्र में लिखा है कि इनके विरुद्ध अपराध प्रथम दृष्ट्या प्रमाणित पाए गए हैं।
वर्तमान में एनबीएस राजपूत भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर है, जबकि विनोद शर्मा और वेदप्रकाश शर्मा रिटायर हो चुके हैं। लोकायुक्त द्वारा की गई जांच के बाद लोकायुक्त मुख्यालय भोपाल के द्वारा प्रकरण में अपराध पंजीबद्ध किए जाने की अनुशंसा उपरांत तत्कालीन महापौर समीक्षा गुप्ता, नेता प्रतिपक्ष शम्मी शर्मा, तत्कालीन आयुक्त एनबीएस राजपूत, वेदप्रकाश शर्मा एवं विनोद शर्मा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए स्वैच्छानुदान राशि का विधि विपरीत वितरण किया और शासकीय राशि का दुरुपयोग करना पाया गया।
ऐसे किया ओवलाइज..
लोकायुक्त जांच में यह पाया गया कि पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता द्वारा वर्ष 2011 में तैयार की गई आर्थिक सहायता सूची के अनुसार, 390 लोगों को इलाज के लिए 20 लाख 80 हजार रुपए का भुगतान किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2012 में स्वीकृत आर्थिक सहायता 100 व्यक्तियों को 6.26 लाख रुपए प्रदान किए गए।
गुप्ता एक जनवरी 2010 से 31 जनवरी 2014 तक महापौर के पद पर कार्य करते समय अपने कार्यकाल में 1,143 व्यक्तियों को 46 लाख 31 हजार रुपए की आर्थिक सहायता बांटी। नेता प्रतिपक्ष के पद पर रहते हुए डॉ. अंजली रायजादा ने इस निधि में 19 लाख रुपए से अधिक की राशि वितरित की, जिसकी मंजूरी एमआईसी से नहीं ली गई। इस घोटाले और भ्रष्टाचार के दस्तावेज स्वतंत्र समय समाचार पत्र के पास उपलब्ध हैं।
बीमारी का परीक्षण कराना भी उचित नहीं माना..
इलाज के नाम पर जिन लोगों को आर्थिक सहायता राशि मंजूर की गई उनमें बीमारी का कोई परीक्षण नहीं कराया गया। खासकर सर्दी, जुखाम, बुखार, डायबिटीज आदि के पर्चे लगाकर गंभीर बीमारियों के नाम पर आर्थिक सहायता बांट दी गई। यहां तक अस्पतालों के नाम पर चैक जारी नहीं किए, बल्कि पर्सनल व्यक्तियों के नाम पर चैक बनाकर दिए गए।
कई बालिकाओं को आईटीएम यूनिवर्स विश्वविद्यालय में फीस भरने के नाम पर रिश्तेदारों की बालिकाओं, स्वजातीय लोगों को सहायता दी गई। कई लोगों को एक ही साल में दो-दो बार आर्थिक सहायता मंजूर की गई। वहीं भाजपा मंडल अध्यक्ष मुरारी लाल मित्तल की बहन के इलाज के नाम पर 5-5 हजार रुपए दो बार मंजूर किए, जबकि मित्तल शहर के जाने माने उद्योगपति तथा अभिभाषक हैं। इसी तरह महापौर ट्राफी के नाम पर भी बंदरबांट की गई।