दिव्यांगजनों के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रहीं सरकार: जयवर्धन सिंह


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स्टोरी हाइलाइट्स

प्रदेश में दिव्यांगजन स्पर्श पोर्टल पर पंजीकृत दिव्यांगजनों की संख्या लगभग 9 लाख हो चुकी है, लेकिन सरकारी नौकरियों में उनके लिए आरक्षित पदों को भरने में सरकार की घोर लापरवाही सामने आई है..!!

भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों ने एक गंभीर सच्चाई उजागर की है। प्रदेश में दिव्यांगजन स्पर्श पोर्टल पर पंजीकृत दिव्यांगजनों की संख्या लगभग 9 लाख हो चुकी है, लेकिन सरकारी नौकरियों में उनके लिए आरक्षित पदों को भरने में सरकार की घोर लापरवाही सामने आई है।

विधानसभा में पूर्व मंत्री व विधायक जयवर्धन सिंह द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में सरकार ने स्वीकार किया कि प्रदेश के 75 विभागों में 37,317 आरक्षित पदों में से 21,936 पद अब भी खाली हैं। यानी कुल आरक्षित पदों का 60% अब तक भरे ही नहीं गये । वहीं सबसे ज्यादा रिक्त पद (  5711 पद  ) स्कूल शिक्षा विभाग में जिन के लिए विज्ञप्ति तक जारी नहीं की गई ऐसे कई विभागों में सैकड़ों पद रिक्त हैं। 

वहीं जिन दिव्यांगजनों के लिए जारी विज्ञप्ति में कहा है कि आवेदन करने वाले दिव्यांगजन दर दर भटक रहे , न नौकरी मिल रही , ना विभाग से उनको कोई जानकारी दी जा रही है।

हाईकोर्ट की अवहेलना कर रही सरकार

विधायक जयवर्धन सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जनवरी 2024 में आदेश दिया था कि सरकार को 15 जुलाई 2024 तक सभी रिक्त पदों पर दिव्यांकजन भर्ती प्रक्रिया पूरी करनी होगी। लेकिन, सरकार ने अब तक 9,000 से अधिक पदों के लिए विज्ञप्ति तक जारी नहीं की है, जिससे साफ है कि सरकार हाई कोर्ट के आदेशों की खुलेआम अवहेलना कर रही है वहीं  हाईकोर्ट के आदेशों का समय पर पालन ना कर वहीं विभागों की तरफ से अधिवक्ताओं को केस लड़ने के लिए लाखों करोड़ों रूपए का भुगतान करने की प्रथा बन चुकी हैं।

दिव्यांगजनों के अधिकारों का हनन

जयवर्धन सिंह ने कहा कि यह स्थिति दर्शाती है कि प्रदेश सरकार दिव्यांगजनों के अधिकारों को लेकर गंभीर नहीं है। जहां एक ओर दिव्यांगजन सरकारी मदद और रोजगार की आस में हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार की निष्क्रियता उनके भविष्य को अंधकार में धकेल रही है। यह न केवल एक प्रशासनिक विफलता है बल्कि दिव्यांगजनों के संवैधानिक अधिकारों का हनन भी है।

सरकार को तुरंत उठाने चाहिए ये मुख्य कदम

रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए ताकि दिव्यांगजन अपने हक के रोजगार पा सकें।
दिव्यांगजनों के लिए विशेष रोजगार अभियान चलाया जाए जिससे उन्हें सरकारी व निजी क्षेत्रों में अधिक अवसर मिलें।
भर्तियों में देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई हो ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो।
हाईकोर्ट के निर्देशों का तत्काल पालन किया जाए और लंबित भर्ती प्रक्रियाओं को पूरा किया जाए।