हिन्दी लोकोक्तियाँ-35 -दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

1.   दुर्गुणी आदमी से गुणी पशु का साथ अच्छाबुरे आदमी से सदा दूर रहना चाइये.2.   दुर्बल को न सताइए, जाकी  बोटी आह.कमज़ोर को सताने से उसकी आह लगती है, जो विनाशकारी होती है.

हिन्दी लोकोक्तियाँ-35 -दिनेश मालवीय 1.   दुर्गुणी आदमी से गुणी पशु का साथ अच्छाबुरे आदमी से सदा दूर रहना चाइये. 2.   दुर्बल को न सताइए, जाकी  बोटी आह. कमज़ोर को सताने से उसकी आह लगती है, जो विनाशकारी होती है. 3.   दूल्हा साथ सजे बरात. दूलहे के साथ ही बरात की शोभा होती है. मुख्य अतिथि के साथ ही दूसरे आमंत्रितों की शोभा होती है. 4.   दुलारे बालक मार खायें. जिन बच्चों को ज्यादा लाड़-प्यार मिलता है, वे बाहर से मार खाकर आते हैं. 5.   दुशाले मी लपेट कर मारना. मीठी बोली में बुरा-भला कहना या शर्मिंदा करना. 6.   दुश्मन मिट्टी का भी बुरा. शत्रु को कमज़ोर नहीं समझना चाहिए. 6.   दुश्मन सोये न सोने दे. दुश्मनी बहुत बुरी चीज होती है. 7.   दुष्ट की दवा पीठ पूजा. दुष्ट प्रकृति का व्यक्ति दण्ड देने पर ही मानता है. 8.   दूध का जला मट्ठा भी फूँक कर पीता है. धोखा खाया हुआ आदमी हर बात में होशियार रहता है. 9.  दूध का धोया आदमी. सभी दुर्गुणों से मुक्त. 10.  दूध के दांत भी अभी नहीं गिरे हैं. ऐसे बच्चे के लिए कहते हैं, जो बड़ों के सामने बड़ी-बड़ी बातें करता है. 11.  दूध से सींचने पर भी नीम मीठी नहीं होती. दुष्ट प्रकृति का मनुष्य किती भी अच्छी बातों को नहीं मानता. 12.  दूबरे और दो अषाढ़. पहले से ही मुसीबत से घिरे व्यक्ति को कोई नयी मुसीबत गहरे ले तब कहते हैं. 13.  दूर के ढोल सुहावने. दूर से चीजें अच्छी दिखती हैं, पास जाकर उनकी कमियां नज़र आती हैं. 14.  दूसरे की आस, नित उपास. दूसरे के बल पर रहने पर नुकसान ही उठाना पड़ता है. 15.  दूसरे की थाली का लड्डू बड़ा दीखता है. दूसरे की वस्तु हमेशा सुंदर लगती है. 16.  देखकर मक्खी निगलना. जानबूझकर हानि उठाना. 17.  देहरी दीपक न्याय. धरी पर दीपक रखने से बाहर भीतर दोनों तरह उजाला होता है. 18.  दोनों आँखों से देखना चाहिए. सोच-समझ कर निर्णय लेना चाहिए. 19.  दोनों हाथ लड्डू. दोनों तरह फायदा.