हिन्दी लोकोक्तियाँ-37 -दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

1.   धोबिन पर बस न चले तो धोबी गधे के कान उमेठे.     ताकतवर पर जोर न चलने पर लोग कमज़ोर को दबाते हैं.

हिन्दी लोकोक्तियाँ-37 -दिनेश मालवीय 1.   धोबिन पर बस न चले तो धोबी गधे के कान उमेठे. ताकतवर पर जोर न चलने पर लोग कमज़ोर को दबाते हैं. 2.   नंगे न लूटें हज़ारों में. नंगे को हज़ारों लोग मिलकर भी नहीं लूट सकते. 3.   नंगे से खुदा भी डरता है. उत्पाती व्यक्ति से सभीको डर लगता है. 4.   नंगा नहाय तो क्या निचोड़े जिसके पास कुछ नहीं होता, उसे क्या चिन्ता. 5.   नंगा नाचे बीच बाज़ार. कोई निर्लज्ज व्यक्ति जब सार्वजनिक रूप से कोई बेशर्मी का काम करता है, तब ऐसा कहा जाता है. 6.   नंद के फंद नंदोई जाने. किसी व्यक्ति के अवगुण उसके जैसे स्वभाव का व्यक्ति ही जान सकता है. 7.   न आधा लेंगे न पूरा देंगे. किसी भी शर्त को मानने के लिए तैयार न होने पर ऐसा कहते हैं. 8.   नयी कहानी गुड़ से मीठी. हर नयी चीज शुरू में अच्छी लगती है. 9.   नयी जवानी मांझा ढीला. जब कोई युवक काम करने में आलस दिखाए तो कहते हैं. 10.  नई नवेली आसमान पर पांव. ऐसी नयी बहू के लिए कहता हैं, हो हमेशा साज-सिंगर और  फेशन में व्यस्त रहती है. 11.  न ऊधो का लेना न माधो  का देना. हर तरफ से निश्चिन्त. कोई लें-दें नहीं. 12.  नकटा देव, चोर पुजारी. जहाँ सेवक और स्वामी या बड़े-छोटे एक जैसे हों, वहाँ कहते हैं. 13.  नगद दाम, सब आसान. पैसे से सब काम आसान हो जाते हैं. 14.  नक़ल में भी अकाल लगती है.’ हर काम में बुद्धि की ज़रुरत होती है. 15.  नक्कारखाने में तूती की आवाज़ बड़ों के बीच छोटों की कोई नहीं सुनता. 16.  न खेलना न खेलने देना. कोई काम न ख़ुद करना, न दूसरे को करने देना. 17.  नचइये के पांव आप दीखते हैं. गुणी व्यक्ति के गुण छुपते नहीं हैं. 18.  नदी नाव  संयोग. संसार में दो व्यक्तियों का मिलना संयोग से ही होता है और वह अस्थायी होता है. पता नहीं कब फिर मिलें या नहीं. 19.  न देने के सौ बहाने. कोई यदि कुछ न देना चाहे, तो अनेक बहाने बनाता है. 20.  ननद के भी ननद हुई. ननद के भी ननद पैदा हुयी,अब उसे पता चलेगा कि भाभी को परेशान करने का कैसा मज़ा आता है. जब किसी दुष्ट व्यक्ति को उसके जैसा दुष्ट मिलता है, तब कहते हैं.