भोपाल: पर्यावरण, वानिकी वनमंडल की बेशकीमती शासकीय जमीन को दबंगों ने कब्ज़ाया हुआ है। नई डीएफओ निधि चौहान पर्यावरण, वानिकी वनमंडल के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती शासकीय जमीन को मुक्त कराने की है।
राजधानी वानिकी परियोजना वनमण्डल (सीपीए) बंद होने से पहले यहां पदस्थ रहे आईएफएस अफसरों ने बेशकीमती राजस्व वन भूमि को रसूखदार अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराने कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर और एसडीएम को बार-बार पत्र लिखते रहे किन्तु आज तक राजस्व वन भूमि अतिक्रमण से मुक्त नहीं हो पाई है। राजधानी वानिकी परियोजना वनमण्डल को बंद करने की कारणों में एक वजह इन रसूखदार अतिक्रमणकारी भी रहें हैं।
राजधानी वानिकी परियोजना वनमण्डल (सीपीए) बंद होने से यहां पदस्थ रहे आईएफएस अफसरों ने बार-बार पत्र लिखकर कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर और एसडीएम भोपाल दबंगों के चंगुल से बेशकीमती राजस्व वन भूमि पर अतिक्रमण से मुक्त कराने का आग्रह करते रहे पर उसे आज तक नहीं हटाया नहीं जा सका। इन अतिक्रमणकारियों में सत्तादल से जुड़े नेता, ब्यूरोक्रेट ही नहीं, बल्कि बर्खास्तशुदा सत्कार अधिकारी ने तो विकास कुंज नाम से एक कॉलोनी ही काट दी और नगर निगम और जिला प्रशासन मूक बधिर बना रहा।
राजधानी परियोजना वन मंडल (सीपीए) बंद होने से पहले और पर्यावरण, वानिकी वनमंडल के गठन के बाद भी इतना फोर्स नहीं है कि वह अतिक्रमण को हटा सके। पर्यावरण, वानिकी वनमंडल के बाद से अब तक डीएफओ का पद प्रभार में ही रहा है। पिछले दिनों डीएफओ पर्यावरण, वानिकी वनमंडल के पद पर निधि चौहान की पोस्टिंग की गई है। निधि चौहान के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती राजस्व वन भूमि से अतिक्रमण मुक्त कराना है।
692 अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है सैकड़ो एकड़ राजस्व वन भूमि..
बंद हुए सीपीए वन मंडल के दस्तावेज में अतिक्रमणकारियों के नाम उनके कब्जे की जमीन का पूरा ब्यौरा भी भेजा है। दस्तावेज के अनुसार 692 अतिक्रमणकारियों ने शहर के बीच बेशकीमती राजस्व वन भूमि पर कब्जा कर दुकानें और आलीशान बंगले बनवा लिए हैं। सबसे अधिक अतिक्रमण अयोध्या बाईपास पर हुए हैं। जिला प्रशासन के नाक के नीचे अयोध्या बायपास में राजस्व वन भूमि पर कब्जाई जमीन पर अहिंसा बिहार के नाम से कॉलोनी भी बन गई है।
ग्रीन बेल्ट जमीन को नष्ट कर कॉलोनी वासियों ने कार पार्किंग की जगह भी बना ली है. आक्रमण की जमीन पर और पाइप दुकान में बड़ी संख्या में खुल गई है. वेलकम अपार्टमेंट, जिंदल हॉस्पिटल, गिरनार विला, तिरुपति अपार्टमेंट, लक्ष्मी बिहार के अलावा व्यक्तिगत लोगों ने भी कब्जा कर रखा है.
वन भूमि के कब्जे से पाई गई भूमि..
पूर्व में राजधानी परियोजना वन मंडल ने कलेक्टर को पत्र लिखकर बाबा नगर झुग्गी बस्ती, विकास कुंज के मकान, फॉर्च्यून प्राइड के कुछ मकान, शगुफ्ता कुरेशी के कब्जे वाली वन भूमि और त्रिलोचन नगर आदि के आधिपत्य में 37.100 हेक्टेयर जमीन राजस्व विवाद में फंसी हुई है. पत्र में सीमांकन कराने की मांग की गई है. साथी वन भूमि के आधिपत्य को कब्जे से छुड़ाने का भी आग्रह किया गया है. सरकार में रसूखदार रहे बर्खास्तशुदा सहायक सत्कार अधिकारी तिग्गा ने विकास कुंज के नाम से पूरी कॉलोनी ही बसा दी है. तिग्गा के रसूख के चलते अब तक किसी ने भी कार्यवाही नहीं की है.
किसके कब्जे में कितनी जमीन..
बाबा नगर झुग्गी बस्ती -1.311 हेक्टेयर,
विकास कुंज कॉलोनी -0.375,
फॉर्च्यून प्राइड के कुल मकान- 0.135,
शगुफ्ता कुरैशी के आधिपत्य में- 0.093,
त्रिलोचन नगर - 0.119,