तुमसे चाहत अगर....दिनेश मालवीय"अश्क" तुमसे चाहत अगर नहीं होती उम्र हमसे बसर नहीं होती। बेख़बर सब बने रहे वरना किसीको किसकी ख़बर नहीं होती। फिर से बन जाए टूटकर रिश्ता बात पहले सी पर नहीं होती। एक हिस्सा सुबह का शामिल है रात भी रातभर नहीं होती। जिसमें शामिल रहे ज़मीर नहीं बात वो पुरअसर नहीं होती।