क्या भारत सफलता के शिखर पर नहीं है? क्या भारत विश्व गुरु नहीं है? अतुल विनोद
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हम सब चर्चा करते हैं तो भारत की उन्नति की, भारत की तरक्की की, भारत को विश्व गुरु बनाने की, भारत का पताका पूरे विश्व में फैराने की| आखिर यह सब कामनाएं जहन में क्यों आती हैं| हम जब अपने देश से प्रेम करते हैं तो हम सहज ही उसे अन्य देशों की तुलना में आगे देखना चाहते हैं|
हम उसकी तुलना अन्य देशों के डेवलपमेंट, वहां के एजुकेशन, एडवांसमेंट, टेक्नोलॉजी और फैसिलिटी से करते हैं| वास्तव में भारत बुनियादी रूप से उन्नति के शिखर पर है| दरअसल हम भारत को उन्नति के नए पैरामीटर्स के आधार पर टॉप पर देखना चाहते हैं| महर्षि रमण से भी एक बार इस तरह का सवाल पूछा गया| भारत आजाद होने वाला था किसी ने उनसे पूछा कि भगवान भारत जल्द ही आजाद होने वाला है और हम जल्द ही उन्नति के शिखर पर पहुंचेंगे? महर्षि रमण ने कहा क्या भारत अभी उन्नति के शिखर पर नहीं है| महर्षि रमण ने बहुत अच्छी बात कही थी| क्या बहुत से उद्योग कारखाने मैनेजर और तकनीक के जानकारों के कारण ही कोई देश उन्नति के शिखर पर होता है| या फिर वह देश, जहां की संस्कृति और अध्यात्म से जुड़े अनेक लोग हैं और उनके नेतृत्व में समाज सही दिशा में आगे बढ़ रहा है|
धर्म अध्यात्म पर आइंस्टीन और गुरुदेव रवींद्रनाथ की रोचक चर्चा
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महर्षि रमण ने कहा कि अंग्रेज अभी हमारी भूमि के कब्जेदार हो सकते हैं लेकिन वह हमारे मन, मस्तिष्क, संस्कृति, कला पर कब्जा नहीं कर सकते और जब वह इस देश को छोड़कर जाएंगे इस भूमि को स्वतंत्र करेंगे जिसे उन्हें उन्होंने कब्जे में लिया था| हमारा मन, मस्तिष्क, अध्यात्म, कला और संस्कृति पहले से ही मुक्त हैं| उस पर ना तो अंग्रेज कभी अधिकार जमा पाए थे ना जमा पाएंगे|
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