भारत की जल स्ट्राइक, सिंधु जल समझौते पर रोक से, पंजाब और सिंध प्रांत में मचेगा हाहाकार


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स्टोरी हाइलाइट्स

पाक की कृषि क्षेत्र होगा चौपट, 47 एकड़ से अधिक क्षेत्र में इस जल से होती है, सिंचाई..हेम हाइड्रो प्रोजेक्ट हो सकता है बंद..!!

सिंधु जल संधि को निलंबित करके भारत ने अपने पड़ोसी देश  पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है कि जब तक वह आतंक के आकाओं पर लगाम नहीं कसता, तब तक वह अपने संसाधनों का इस्तेमाल नहीं होने देगा।

क्या है सिंधु जल संधि जिसे भारत ने पहलगाम हमले के बाद समाप्त कर दिया, जिसके बाद पाकिस्तान एक-एक बूंद पानी के लिए कैसे तरसेगा?

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार (22 अप्रैल) को पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने पड़ोसी देश पाकिस्तान के खिलाफ बेहद सख्त कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को रोकने का फैसला किया है। 

बुधवार शाम प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इसके अलावा, सरकार ने भारत में पाकिस्तानी दूतावास को बंद करने और किसी भी पाकिस्तानी को भारतीय वीजा जारी नहीं करने का भी फैसला किया है। सीसीएस की बैठक में अटारी सीमा को तत्काल प्रभाव से बंद करने का भी निर्णय लिया गया।

भारत और पाकिस्तान के बीच बहने वाली सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल बंटवारे के लिए 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसे सिंधु जल संधि कहा जाता है। यह समझौता विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था और इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल को साझा करना था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 9 वर्षों की बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते पर 19 सितंबर 1960 को कराची में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। सिंधु नदी प्रणाली में कुल छह नदियाँ शामिल हैं। 

इनमें सिंधु, सतलुज, झेलम, चिनाब, रावी और व्यास नदियाँ शामिल हैं। इस समझौते के तहत भारत सिंधु नदी प्रणाली के केवल 20% पानी का ही उपयोग कर सकता है। शेष 80% पानी पाकिस्तान को दिया जाता है। सिंधु नदी को पाकिस्तान की जीवन रेखा कहा जाता है।

इस समझौते को समाप्त करके भारत पाकिस्तान को मिलने वाले सिंधु नदी के पानी को रोक देगा, जिससे पाकिस्तान पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस जाएगा। इससे सबसे ज्यादा नुकसान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को होगा। सिंधु नदी पाकिस्तान के कई राज्यों से होकर बहती है और अरब सागर में गिरती है। 

इस समझौते की समाप्ति का सबसे बड़ा असर पाकिस्तान की कृषि पर पड़ेगा। वहां खेत सूख जाएंगे और फसल उत्पादन बंद हो जाएगा। पाकिस्तान की 210 मिलियन से अधिक आबादी की जल जरूरतें भी इसी सिंधु जल प्रणाली पर निर्भर करती हैं। इसका मतलब यह है कि अगर इसे बंद कर दिया गया तो पीने के पानी की भी कमी हो जाएगी।

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में लगभग 1.7 मिलियन एकड़ भूमि पानी की कमी के कारण बंजर हो सकती है। इससे पाकिस्तान में भयंकर सूखा पड़ सकता है। पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है और खाद्यान्न संकट के कारण भुखमरी का सामना कर रहा है। अब भारत की कार्रवाई उसकी कमर तोड़ सकती है। इसका मतलब यह है कि मोदी सरकार के इस कदम से पाकिस्तान की एक बड़ी आबादी भूख और प्यास दोनों से पीड़ित हो सकती है।

समझौते के अनुसार, सिंधु जल आयोग की बैठक हर साल आयोजित होना आवश्यक है। पिछले वर्ष अगस्त में भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा करने के लिए पाकिस्तान को नोटिस भी दिया था। उस नोटिस में कहा गया था कि परिस्थितियों में मौलिक और अप्रत्याशित परिवर्तनों के कारण, समझौते की पुनः समीक्षा की आवश्यकता है। कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि सीमा पार आतंकवादी घटनाएं इस नोटिस का कारण थीं। अब भारत ने इतना सख्त कदम सिर्फ आतंकवाद की घटनाओं के कारण उठाया है।