जबलपुर में 800 करोड़ रुपये की लागत वाले फ्लाईओवर पर भ्रष्टाचार का साया मंडरा रहा है। जबलपुर फ्लाईओवर में भ्रष्टाचार का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। फ्लाईओवर का उद्घाटन होने से पहले ही उसमें दरारें आ गईं, जिसके कारण विपक्ष ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उद्घाटन से पहले फ्लाईओवर में आई दरार ने विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया। विवाद बढ़ने के बाद सरकार ने आनन-फानन में चीफ इंजीनियर एससी वर्मा को जबलपुर से हटाकर रीवा अटैच कर दिया।
विपक्ष ने फ्लाईओवर के निर्माण में घटिया गुणवत्ता और लापरवाही का आरोप लगाते हुए सरकार पर हमला बोला। विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने X पर एक पोस्ट में निशाना साधते हुए लिखा, 'मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार की नई कहानियां लिखी जा रही हैं। जबलपुर में 800 करोड़ रुपए की लागत से बने फ्लाईओवर की सड़क टूट रही है। यह सब कुछ सरकार की नाक के नीचे हो रहा है। क्या यह भ्रष्टाचार है या पूर्ण अव्यवस्था?
वहीं फ्लाईओवर निर्माण में घटिया गुणवत्ता और लापरवाही को लेकर सरकार गंभीर हो गई है। सरकार ने मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की है। भाजपा नेता और मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने बताया कि मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। तब तक हमें समिति की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पीडब्ल्यूडी मंत्री पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी मंत्री जबलपुर से हैं। अब तक आप क्या कर रहे थे? पटवारी ने फ्लाईओवर के निर्माण में भ्रष्टाचार और 50 प्रतिशत कमीशनखोरी का आरोप लगाया था। मदन महल चौक से दमोह नाका तक 800 करोड़ रुपए की लागत से फ्लाईओवर का निर्माण किया जा रहा है। जबलपुर फ्लाईओवर राज्य का सबसे बड़ा और सबसे महंगा फ्लाईओवर है।