जोड़ों के दर्द मुफ्त में मुक्ति: गठिया, वात का सरल इलाज


स्टोरी हाइलाइट्स

गठिया या संधिवात् का रोग: गठिया को जड़ से खत्म करने का इतना सस्ता उपाय नहीं जानते होंगे आप। जोड़ों, गठिया, और घुटनों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज मिल गया..

जोड़ों के दर्द मुफ्त में मुक्ति: गठिया, वात का सरल इलाज   गठिया या संधिवात् का रोग: गठिया को जड़ से खत्म करने का इतना सस्ता उपाय नहीं जानते होंगे आप।  जोड़ों, गठिया, और घुटनों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज मिल गया घुटनों के दर्द ,गठिया वात, आर्थराइटिस का इलाज।  ये भी पढ़ें..जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए रोजाना करें ये 3 योगासन सामान्यतः मनुष्य का भोजन दो प्रकार का होता है, एक अम्लीय व दूसरा क्षारीय। लगभग सभी पके हुए भोजन अम्लीय होते हैं तथा भोजन का प्राकृतिक रूप क्षारीय होता है। शरीर में अम्ल तत्व बढ़ जाने से मुख्यतः यह रोग होता है। हमारे शरीर में शुद्ध वायु प्रवेश करती है तथा रक्त की गंदगी लेकर वायु बाहर आती है। जब आंतरिक अंगों द्वारा निष्कासन मार्ग स्वच्छ नहीं रहता तो रक्त गंदा हो जाता है और यह गंदगी विभिन्न रोगों के रूप में शरीर से बाहर निकलती है। जब इस गंदगी को (ज्वर, जुकाम, अतिसार, पेचिश आदि के रूप में) हम तेज औषधियों द्वारा अंदर ही दबाने का प्रयास करते हैं तो दुर्बल अंग इसकी चपेट में आ जाते हैं। विशेषकर जोड़ों में गंदगी जमा हो जाती है और अन्ततः गठिया या संधिवात् का रोग दृष्टिगोचर होता है। गंदगी का शरीर में इक्ट्ठे होने का मुख्य कारण हमारा कुपोषक भोजन है। अम्लकारक भोजन जैसे महीन व चोकर निकला आटा, चीनी, दालें, तली-भुनी चीजें, मैदा और बेसन के पदार्थ, खटाई, मिर्च-मसाले की अधिकता तथा क्षारीय खाद्य पदार्थों जैसे फल व सब्जियों की मात्रा न्यूनतम रहती है। ये भी पढ़ें..जानिए कैसे जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द को कम करता है जायफल जब व्यक्ति अम्ल प्रधान भोजन का सेवन अधिक करता है तो अम्लीय तत्व शरीर में अस्थियों की ओर आकर्षित होते हैं और उन पर चिपक जाते हैं, जिससे जोड़ों का हिलाना-डुलाना दूभर हो जाता हैं और रोग के लक्षण प्रत्यक्ष दिखाई देने लगते हैं। डॉक्टर भी इसे यूरिक एसिड का बढ़ना ही कहते हैं। किसी न किसी रूप में शरीर में से मल को बाहर निकालने से ही इस रोग का उपचार होता है। रोग के लक्षण:- 1.जोड़ों में बेहद पीड़ाजनक दर्द होता है। 2.जोड़ों में सूजन आ जाती है। शरीर में वायु का प्रकोप अधिक होने से विजातीय द्रव्य जोड़ों में जमा होने के कारण दर्द उत्पन्न होता है। 3.जोड़ों के साथ-साथ शरीर अकड़न जाती है। 4.रक्त भी विकारयुक्त हो जाता हैं। 5.जोड़ लाल होकर सख्त हो जाते हैं। रक्त के कुपित होने से इसका विषाक्त पदार्थ सम्पूर्ण शरीर में चलता रहता है। ज्वर भी रहने लगता है। 6.जोड़ों में सूजन इस सीमा तक आ जाती हैकि रोगी का चलना-फिरना, उठना-बैठना, खाना पीना भी दूभर हो जाता है। 7.रोग की अधिकता में रोगी के हाथ-पैर, उंगलियाँ, टेढ़ी हो जाती हैं। ये भी पढ़ें..इन तेलों में ये चीज़े मिलाने से बन जाती है रामबाण औषधि, खुजली,खांसी, कफ, दर्द, शिथिलता का घर पर ही करें इलाज 8.रोग का प्रभाव दांतों व टांसिल्ज़ पर भी पड़ता है। 9.किसी किसी को धीमा धीमा दर्द रहता है जबकि किसी को हर समय दर्द रहता है। उपचार:- हल्के आसन करें जैसे ताड़ासन, कोणासन, भुजंगासन, पादोत्तानासन, मकरासन, शवासन। प्राणायाम में:- गहरे लम्बे श्वास, भस्त्रिका प्राणायाम, अनुलोम-विलोम प्राणायाम आदि का अभ्यास करें। शुद्धि क्रिया:- जलनेति, सूत्रनेति, कपालभाति, सरसों का तेल नाक में लगाना तथा एनिमा। 1.भोजन-सादा, सुपाच्य, हल्का, बिना मिर्च-मसाले का भोजन उपयुक्त है। भोजन में सलाद, हरी उबली सब्जी तथा भूख से एक फुलका कम खाने से लाभ मिलेगा। प्रातः 9-10 बजे, सायं 6-7 बजे भोजन लें। दोपहर 12 बजे मीठा रसदार फल लें। पानी हल्का गर्म पीएं तो लाभ होगा। ठण्डी तासीर की चीजें न खाएं। शाम के भोजन के बाद कम से कम आधा घंटा टहलें। 2.सूखे नारियल की गिरी खाते रहने से लाभ मिलता है। प्रातः काल खाली पेट तीन-चार अखरोट की गिरी खाने से भी आराम होता है। 3.मेथी दाने को तवे या कड़ाही में गुलाबी होने तक के ठण्डा होने पर पीस लें। कपड़े से छान करके रखें। प्रातः सायं तीन-तीन ग्राम मात्रा पानी के साथ सेवन करने से गठिया, जोड़ों का दर्द, बुढ़ापे के कारण घुटनों का दर्द दूर होता है। 4.लहसुन की दो कलियाँ, सोंठ पाउडर 50 ग्राम, हरह बड़ी 50 ग्राम का चूर्ण, छोटी इलायची व दालचीनी दो-दो ग्राम, एक लीटर दूध में एक लीटर पानी मिला लें। ये चीजें डालकर इतना उबाले कि आधा लीटर रह जाए। इसका प्रतिदिन सेवन करें। आराम मिलेगा रोग दूर होगा। 5.लहसुन की दो कलियों को सरसों के तेल में जलाकर प्रभावित अंगों पर तेल की मालिश करें। लाभ होगा। ये भी पढ़ें..जोड़ों में दर्द हो तो क्या करें ? 6.बथुआ(सब्जी) का ताजा रस निकाल कर प्रतिदिन एक कप पीने से लाभ होगा। 7.बेसन की रोटी देसी घी में चुपड़ कर खाएं। 8.नमक का प्रयोग रोटी में न करें। 9.ताजे आंवलों का रस थोड़ा सा शहद मिलाकर सेवन करें। 10.सूखे आंवलों की गुठली निकाल कर कूट लें। दुगुनी मात्रा में गुड़ मिलाकर काबुली चने जितनी गोलियां बना लें। छांव में सुखा लें प्रतिदिन दो तीन गोलियां पानी के साथ सेवन करें। 11.कच्ची सब्जियों व फलों के रस हितकर हैं। जैसे अदरक, पेठा, खीरा, लौकी, गाजर, संतरा, अनार, मौसमी, सेब आदि। निषेध:- टमाटर, पालक, सेम की फली, अचार, खट्टा, ज्यादा मीठा, तला भुना, मसूर की दाल, चावल, बासी भोजन, आइसक्रीम, धूम्रपान, गरिष्ठ भोजन, अधिक चिकनाई, गैस बनाने वाली चीजों का सेवन न करें। ये भी पढ़ें.. सर्दियों में बढ़ जाती है जोड़ों में दर्द की समस्या..ऐसे रखें ख्याल