Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता रेप-हत्या मामले के विरोध में फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FIMA) बुधवार को देशव्यापी भूख हड़ताल करने की घोषणा की है। एसोसिएशन का कहना है कि जब तक ट्रेनी डॉक्टर को न्याय नहीं मिल जाता तब तक वह आंदोलन जारी रखेंगे। इस भूख हड़ताल में दिल्ली के डॉक्टर भी शामिल हो गए हैं।
हड़ताल के समर्थन में 9 अक्टूबर को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में सामूहिक इस्तीफा दिया गया। भूख हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में 50 सीनियर डॉक्टरों ने भी इस्तीफा दे दिया।
एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, ‘जूनियर डॉक्टर एक कारण से आमरण अनशन कर रहे हैं। हम उनके साथ मजबूती से खड़े हैं और यही संदेश देने के लिए उन्होंने इस्तीफा दिया है।’ दरअसल, कोलकाता में जूनियर डॉक्टर 5 अक्टूबर की शाम से आमरण अनशन पर हैं। वे स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम को हटाने समेत 9 मांगों पर अड़े हैं।
ये हैं वो मांगें-
* हेल्थ सेक्रेटरी को हटाया जाए। स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की जवाबदेही तय हो।
* अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के लिए एक सेंट्रलाइज्ड रेफरल सिस्टम बने।
* CCTV, ऑन कॉल रूम और वॉशरूम जैसी सुविधाओं के लिए टास्क फोर्स बने।
* अस्पतालों में बेड की निगरानी के लिए डिजिटल बेड वैकेंसी मॉनिटरिंग सिस्टम लागू हो।
* अस्पतालों में पुलिस सुरक्षा बढ़ाई जाए। परमानेंट महिला पुलिसकर्मियों की भर्ती हो।
* अस्पतालों में डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के खाली पदों को भरा जाए।
* छात्र परिषद के चुनाव हों, कॉलेजों की रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की मान्यता मिले।
* मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों की प्रबंधन समितियों में जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधि हों।
* बंगाल मेडिकल काउंसिल और स्वास्थ्य भर्ती बोर्ड के भीतर भ्रष्टाचार की तत्काल जांच हो।
उधर, बंगाल सरकार ने कहा है कि सरकार अपने सभी वादे पूरे कर रही है। ममता सरकार ने डॉक्टरों से अनशन खत्म करने की अपील की है। डॉक्टरों ने पहले 5 मांगें रखी थीं, जिनमें से सरकार ने 3 पूरी कर दीं। बलात्कार-हत्या की घटना के खिलाफ जूनियर डॉक्टर 10 अगस्त से 21 सितंबर तक 42 दिनों की हड़ताल पर चले गये। सीएम ममता ने दो अन्य मांगों और शर्तों पर विचार करने का आश्वासन दिया था।
इसके बाद डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म कर दी। वह अस्पतालों में काम पर लौट आये। इसके बाद 27 सितंबर को सागर दत्ता अस्पताल में 3 डॉक्टरों और 3 नर्सों की पिटाई का मामला सामने आया, जिससे डॉक्टर नाराज हो गए और 1 अक्टूबर से हड़ताल फिर से शुरू कर दी।
4 अक्टूबर को जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली, लेकिन हड़ताल जारी रही। उन्होंने कहा कि हम काम पर लौट रहे हैं क्योंकि सरकारी अस्पतालों को बड़ी संख्या में मरीजों की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, उन्होंने राज्य सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया और इसके बाद उन्होंने अनशन शुरू कर दिया।