इम्यून सिस्टम हो सकता है प्रभावित-
अमेरिकी विज्ञानियों द्वारा किए शोध के मुताबिक शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता पर भी लड़ाई-झगड़ों का काफी बुरा असर पड़ता है। अगर बचपन में माता-पिता के बीच झगड़े हुए हों तो बच्चों पर इसका बुरा असर होता है। ऐसे बच्चे बड़े होने के बाद भी बार-बार बीमार पड़ते हैं। जिनके माता-पिता की लड़ाई लंबी चली हो या अलगाव हो गया हो उन बच्चों के ऊपर गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना होती है।
आत्मसम्मान में आती है कमी-
माता-पिता जब परस्पर एक-दूसरे से अशिष्टता पूर्वक बातचीत करते हैं या मारपीट करते हैं, तो बच्चे के कोमल मन पर इसका बुरा असर पड़ता है और उसके मन में उनके प्रति आदर भाव समाप्त हो जाता है। उन्हें अपने माता-पिता पर भरोसा नहीं रहता और उन्हें देखकर सुरक्षित महसूस करने की बजाए बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। इससे बच्चे के आत्म-सम्मान में भी कमी आती है।
बुरे लोगों का बन सकते हैं शिकार-
घर में इस तरह की कलह की स्थितियों के बीच कभी-कभी बच्चा अपनी जरूरतों के लिए अड़ोस-पड़ोस के लोगों के सामने भी हाथ फैलाने लगता है या फिर उनके यहां उनकी आवाजाही बढ़ जाती है।
ऐसे में बच्चे के साथ दुर्व्यवहार होने की भी संभावना रहती है। या तो उससे काम वगैरा करवा कर उसकी मजबूरी का फायदा उठाया जाता है या फिर उसके साथ यौन दुर्व्यवहार होने की भी काफी संभावना रहती है। बच्चों का मन अबोध होता है। उन्हें न तो सामाजिक ऊंच-नीच की इतनी समझ होती है और न ही खुद का भला बुरा सोचने जितनी सूझबूझ ऐसे में वे बहुत आसानी से बुरे लोगों के हत्थे चढ़ जाते हैं।
मन में पनपता है अपराधबोध-
बच्चों को अक्सर पेरेंट्स के बीच झगड़ा होने के कारणों की कोई जानकारी नहीं होती। न ही उन्हें इस बात की समझ होती है कि पति और पत्नी के विवाद और उग्रता के पीछे उनके बीच आपसी समझ की कमी, अधिक उम्मीदें, उनकी स्वभावगत कमियां या यौन संबंधों में खटास हो सकता है।
उन्हें लगता है कि सारे फसाद की जड़ वे स्वयं ही हैं। विशेष रूप से जब मां बच्चे की देखभाल करने को लेकर पति पर आरोप लगाती है और पिता अपनी कमाई का बखान करता है। तब बच्चों के कोमल मन पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इससे बच्चे के मन में अपराध बोध और हीन भावना आ जाती है। कभी-कभी उनमें आत्महत्या करके खुद को समाप्त कर लेने जैसा विचार भी आ सकता है।