अच्छा या बुरा समय अचानक ही सामने नहीं आता, आकस्मिक रूप से कुछ हो जाना अपवाद की बात है, पर ज्यादातर अच्छे और बुरे परिणाम धीरे-धीरे सामने आते हैं।
यह अलग बात है कि हम अपनी मूढ़ता, मूर्च्छा, लापरवाही और आदतों से लाचार होने के कारण इस ओर ध्यान नहीं देते, शरीर में होने वाले रोग अचानक ही भयानक रूप धारण नहीं कर लेते है, कोई व्यावसायिक-फर्म अचानक दिवालिया नहीं हो जाती और कोई भी विपत्ति अकारण और अचानक ही हम पर नहीं टूट पड़ती है, यदि आपका प्रयत्न किसी फुलवारी या बगीचे की तरफ बढ़ने का है तो हवाएं और हवा में फैली खुशबू बता देती है कि बगीचा कहीं पास ही है।
अभी बगीचा आया नहीं कि उसकी खबर पहले से मिलने लगती है, इसी प्रकार आप किसी दुर्गन्धयुक्त स्थान की ओर जा रहे होते हैं तो स्थान तक पहुंचने से पहले हवाएं खबर दे देती हैं कि दुर्गंध वाला स्थान पास आ रहा है। शरीर में कोई रोग होने वाला हो तो पहले से ही विकार प्रकट होने लगते हैं, लक्षण प्रकट होने लगते हैं जिन्हें मूढ़ और अज्ञानी समझ नहीं पाते और लापरवाही करके रोग के जाल में फंस जाते हैं।
लापरवाही को निष्ठुरता,आलस्य के रूप में जाना जाता है, जब कोई व्यक्ति या संगठन किसी कार्य या जिम्मेदारी का उचित रूप से निर्वाहन न करने के कारण लापरवाही या बेपरवाही के कारण नुकसान करते हैं, यह किसी भी क्षेत्र में हो सकती है, जैसे कि कार्य, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, यातायात और सामाजिक संबंध आदि।
लापरवाही के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि:-
ध्यान न देना: यदि कोई व्यक्ति या संगठन किसी कार्य पर उचित ध्यान नहीं देता है, तो वह और ज़्यादा गलतियाँ कर सकता है और प्रतिकूल परिणामों को आमंत्रित कर सकता है।
बेतहाशा प्रवृत्ति: कई बार लोग अपने कार्य में बहुत आत्मविश्वास और अहंकार में रहते हैं, जिसके कारण उन्हें अपने कार्य के लिए सतर्क रहने की जरूरत महसूस नहीं होती है।
भ्रष्टाचार या लालच: लापरवाही का कारण भी भ्रष्टाचार या लालच हो सकता है, जहां व्यक्ति नेतृत्व या सत्ता के लिए अपनी निजी लाभ की चिंता करता है और जिम्मेदारी को ध्यान में नहीं रखता है।
लापरवाही से बचने के लिए निम्नलिखित कुछ उपाय हो सकते हैं:-
सतर्कता: सबसे महत्वपूर्ण उपाय है सतर्कता बनाए रखना। किसी भी कार्य को करते समय ध्यान से करें और लापरवाही को दूर रखें।
प्राथमिकताएं सेट करें: महत्वपूर्ण कार्यों के लिए प्राथमिकताएं सेट करें और उन्हें नियमित रूप से पूरा करें।
योजना बनाएं: किसी भी कार्य को करने से पहले योजना बनाएं। यह आपको अपने कार्य को संगठित और अच्छी तरह से सम्पन्न करने में मदद करेगा।
संगठन करें: अपने काम को संगठित करने के लिए समय और संसाधनों का उपयोग करें। संगठित रहने से आप अपने कार्यों को नियंत्रित कर सकेंगे।
सतर्कता विकसित करें: अपनी सतर्कता को विकसित करने के लिए ध्यान दें। योग और ध्यान अभ्यास आपको मानसिक शांति और सतर्कता में मदद कर सकते हैं।
लापरवाही के नुकसान कुछ इस प्रकार हो सकते हैं:-
गलतियों का उत्पन्न होना: लापरवाही से कई गलतियां हो सकती हैं, जो किसी व्यक्ति या संगठन को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जैसे कि वित्तीय हानि, कानूनी मुद्दों का सामना करना, ग्राहकों के खोने आदि।
प्रदर्शन में कमी: लापरवाही से कार्य की गुणवत्ता प्रभावित होती है और प्रदर्शन में कमी होती है। इससे प्रगति में रुकावट आ सकती है और किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
संबंधों में कमजोरी: लापरवाही दूसरों की भरोसेमंदी को कम कर सकती है और संबंधों को क्षय कर सकती है। इससे सामाजिक, पेशेवर और व्यक्तिगत संबंध प्रभावित हो सकते हैं।
लापरवाही से बचकर सतर्क रहने के लिए उपरोक्त उपायों का पालन करें और अपने कार्यों में निष्ठा और संवेदनशीलता दिखाएं। ध्यानपूर्वक और जिम्मेदारी पूर्वक कार्य करने से आप अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद करेंगे और सफलता की ओर अग्रसर होंगे।