हिन्दी लोकोक्तियाँ-40 ...........Lokoktiyan in Hindi -दिनेश मालवीय हिन्दी लोकोक्तियाँ-40 -दिनेश मालवीय 1. पढ़त विद्या करत खेती अभ्यास से विद्या और परिश्रम से खेती में सफलता मिलती है. 2. पढ़े उसकी विद्या. जो पढ़ता है उसे ही ज्ञान मिलता है. 3. पढ़े को गुणा चराए. शिक्षित गैर-अनुभवी व्यक्ति को बेपढ़ा अनुभवी व्यक्ति मात दे देता है. 4. पर की आसा सदा निरासा. दूसरे की आशा करने पर हमेशा निराशा हाथ लगती है. 5. पर धन पर लक्ष्मीनारायण. दूसरे के धन पर मौज उड़ाने वाले के लिए कहते हैं. 6. पराई हाँसी गुड़ जैसी मीठी. दूसरे की खिल्ली उड़ाने में बहुत आनंद आता है. 7. पराये शगुन के लिए नाक कटाना. दूसरे का बुरा करने के लिए ख़ुद का नुकसान करना. 8. पराया सिर कद्दू बराबर. दूसरे का नुकसान हो जाए तो हो जाए. 9. पहले आत्मा पीछे परमात्मा. पहले आत्मा को प्रसन्न करना चाहिए, उसके बाद ईश्वर को. 10. पहले बात को तोलो, फिर बोलो. कुछ कहने से पहले ठीक से सोच लेना चाहिए. 11. पहुँचे हुए पीर हैं. बहुत चालाक व्यक्ति के लिए व्यंग्य में कहते हैं. 12. पाँचों उँगलियाँ घी में. हर तरफ से लाभ होने पर कहते हैं. 13. पांव में भौरी होना. घुमक्कड़ व्यक्ति के लिए कहते हैं. 14. पांसा पड़े अनाड़ी जीते. भाग्य के साथ देने पर मामूली आदमी भी बड़ा काम कर जाता है. 15. पानी का मोल सूखे में. किसी चीज का अभाव होने पर ही उसका मोल पता चलता है. 16. पानी में गिरा सूखा नहीं निकलता. बुरा कम करने वाला, दण्ड से नहीं बच सकता. 17. पाप का बाप लालच. लालच सब पापों की जड़ होता है. 18. पिद्दी न पिद्दी का शोरबा. नगण्य व्यक्ति. 19. पीठ पीछे राजा को भी गाली. पीठ पीछे लोग बड़े से बड़े आदमी की आलोचना करते हैं. 20. पीला सभी सोना नहीं होता. ऊपर से आकर्षक दिखने वाली हर चीज अच्छी नहीं होती.