मध्यप्रदेश इतिहास: चंदेल और विंध्य क्षेत्र


स्टोरी हाइलाइट्स

कन्नौज के प्रतिहार साम्राज्य के विघटन के बाद कई स्वतंत्र राज्य बने। इनमें बुंदेलखंड में चंदेलों का शासन था। नवीं सदी के पहले चरण में नचुक...

मध्यप्रदेश इतिहास: चंदेल और विंध्य क्षेत्र चंदेल और विंध्य क्षेत्र: कन्नौज के प्रतिहार साम्राज्य के विघटन के बाद कई स्वतंत्र राज्य बने। इनमें बुंदेलखंड में चंदेलों का शासन था। नवीं सदी के पहले चरण में नचुक उसका संस्थापक था। उसके पौत्र, जनशक्ति जो जेज्जक और जेज्जा कहलाते थे, उनके नाम पर चंदेलों का राज्य जैजाकभुक्ति या जिझौती के नाम से प्रसिद्ध हुआ। ये भी पढ़ें.. खजुराहो मंदिर की ‘कामुक मूर्तियों’ हैरान करने वाला इतिहास | khajuraho ke mandir इस वंश के यशोवर्धन राजा ने अपने राज्य की सीमा उत्तर में यमुना और दक्षिण में चेदि तथा मालवा तक विस्तारित की थी। चंदेल प्रारंभ में प्रतिहारों के सामंत थे, परन्तु बाद में ताकतवर होकर स्वतंत्र हो गए। धंग इस वंश का ताकतवर और महान शासक हुआ। ये भी पढ़ें.. राजपूत बाहरी आक्रमण होने पर हार क्यों जाते थे? -दिनेश मालवीय उसके समय में विश्व प्रसिद्ध खजुराहो में कई मंदिरों का निर्माण हुआ। इस वंश का अंतिम शासक परमार्दि देव को कुतुबुद्दीन ऐबक ने परास्त किया। इसके बाद भी चंदेल बुंदेलखंड के कुछ हिस्सों पर शासन करते रहे। बाद में बुंदेलखंड के इस क्षेत्र में लम्बे समय तक बुंदेलाओं ने राज किया। शिव अनुराग पटेरिया