मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के 43 साल पुराने एक्ट को बदलने की तैयारी चल रही है। गुजरात के सोमनाथ ट्रस्ट के समान ही महाकाल मंदिर के लिए भी एक्ट बनाने की योजना है। '1982 अधिनियम' में दो महीने में संशोधन किया जाएगा। सम्पूर्ण उज्जैन के विकास के लिए नया कानून बनाया जाएगा।
यह शहर के सभी मंदिरों पर लागू होगा। मंदिर प्रशासक की भूमिका और दर्शन व्यवस्था में भी सुधार किया जाएगा। धार्मिक न्यास एवं धार्मिक मामलों के विभाग ने एक मसौदा कानून तैयार किया है। नये नियम शीघ्र ही लागू हो जायेंगे।
वर्तमान में महाकालेश्वर मंदिर एक्ट 1982 लागू है। कलेक्टर मंदिर समिति के अध्यक्ष हैं। राज्य सरकार प्रशासक की नियुक्ति करती है। यह समिति सम्पूर्ण मंदिर के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। मंदिर समिति मंदिर को प्राप्त होने वाले दान, श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्थाओं और सुविधाओं के लिए जिम्मेदार होती है।
एक्ट में उल्लेख है कि सरकार मंदिर के प्रबंधन के लिए अलग नियम बना सकती है। वर्तमान में लागू एक्ट केवल महाकाल मंदिर परिसर पर ही लागू होता है। वर्तमान में 'मंदिर' से तात्पर्य महाकाल मंदिर परिसर में स्थित 17 प्रमुख मंदिर और मूर्तियों से है।
महाकाल मंदिर में लगातार हो रही घटनाओं के कारण एक्ट में बदलाव किया जा रहा है। उज्जैन क्षेत्र के विकास के लिए नया एक्ट बनाया जाएगा। उज्जैन के अधिकांश प्रमुख मंदिर महाकाल मंदिर समिति का हिस्सा होंगे। किसी सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी को मंदिर का प्रशासक बनाया जा सकता है। मंदिर में दर्शन व्यवस्था का मार्ग छोटा करने पर विचार किया जाएगा। मंदिर की संरचना में परिवर्तन किया जा सकता है।
मंदिर में सोमनाथ मंदिर की तरह दर्शन की व्यवस्था हो सकती है। समिति में बुद्धिजीवियों और धार्मिक मान्यताओं के जानकार लोगों को भी शामिल किया जा सकता है। मंदिर में कर्मचारियों की नियुक्ति के नियमों में भी बड़ा बदलाव संभव है। महाकाल मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था में भी बदलाव किया जाएगा। इस बदलाव से मंदिर समिति को अधिक काम करने का अवसर मिलेगा।
उज्जैन में 50 से अधिक विश्व प्रसिद्ध मंदिर और पूजा स्थल हैं। इसमें कालभैरव, हरसिद्धि, मंगलनाथ, गुरु सांदीपनि आश्रम, गढ़कालिका, चिंतामन गणेश और 84 महादेव मंदिर शामिल होंगे। नये कानून से उज्जैन के सभी मंदिरों का विकास हो सकेगा। आपको बता दें कि नए नियमों को लागू करने के लिए एक समिति बनाई जाएगी। समिति सुझाव आमंत्रित करेगी। सुझावों की समीक्षा के बाद धार्मिक बंदोबस्ती विभाग नये नियमों को लागू करेगा।