Mahakumbh Shahi Snan: तीसरा और अंतिम शाही स्नान संपन्न, अब प्रयागराज से रवाना होंगे अखाड़े के संत


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स्टोरी हाइलाइट्स

प्रयागराज महाकुंभ का तीसरा सबसे बड़ा पर्व वसंत पंचमी का अमृत स्नान रविवार 2 फरवरी से शुरू होकर सोमवार 3 फरवरी को समाप्त हो गया, हिंदू पंचांग के अनुसार यह पर्व दो दिन का था, जिसके कारण श्रद्धालुओं ने दोनों दिन संगम में स्नान किया..!!

Mahakumbh Shahi Snan: वसंत पंचमी का त्यौहार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह तिथि 2 फरवरी 2025 को प्रातः 9:14 बजे प्रारम्भ होकर 3 फरवरी को प्रातः 6:52 तक रही। इस दिन देवी सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है।

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प्रयागराज महाकुंभ का तीसरा सबसे बड़ा पर्व वसंत पंचमी का अमृत स्नान रविवार 2 फरवरी से शुरू होकर सोमवार 3 फरवरी को समाप्त हुआ। हिंदू पंचांग के अनुसार यह पर्व दो दिन का था, जिसके कारण श्रद्धालुओं ने दोनों दिन संगम में स्नान किया। सोमवार को अंतिम अमृत स्नान के बाद विभिन्न अखाड़ों के संत और नागा साधु अपनी-अपनी छावनियों में लौटने की तैयारी में जुट गए हैं। अब छह साल बाद वह 2031 कुंभ के लिए फिर प्रयागराज आएंगे।

सोमवार 3 फरवरी को महाकुंभ का  22वां दिन है। दोपहर 12 बजे तक 1.63 करोड़ श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई। 13 जनवरी से अब तक 34.97 करोड़ से ज्यादा लोग डुबकी लगा चुके हैं।

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महाकुंभ मेला प्रशासन ने अखाड़ों को सोमवार सुबह शाही स्नान के लिए निश्चित समय दिया था। इस अवसर पर नागा साधु-संतों ने पारंपरिक वेशभूषा धारण कर स्नान किया। वे रथ, हाथी, ऊँट और घोड़ों पर सवार होकर संगम तट पर पहुँचे। उनके साथ तलवारों, गदाओं और रत्नजटित मालाओं से सजे संत भी साथ रहे। स्नान के बाद संतों ने अपने शिविरों में पूजा-अर्चना की और प्रयागराज महाकुंभ से प्रस्थान की तैयारी में जुट गए।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा, ‘‘वसंत पंचमी के अवसर पर यह अंतिम शाही स्नान था। इसके बाद हम वाराणसी के लिए रवाना होंगे। हमारे पास 40 मिनट थे। मैं श्रद्धालुओं से अनुरोध करता हूं कि वे संगम घाट पर अनावश्यक भीड़ न लगाएं। उन्होंने बताया कि इस शाही स्नान के लिए करीब 5000 से 6000 नागा साधु संगम तट पर पहुंचे थे। प्रशासन ने अखाड़ों की वापसी के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं पहले ही कर ली हैं।

शाही स्नान के दौरान अखाड़े अपने देवताओं की मूर्तियां और प्रतीक चिन्ह लेकर संगम पहुंचे। महामंडलेश्वर ने रथ पर सवार होकर जुलूस का नेतृत्व किया। पुराने अखाड़े के स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा, ‘‘आज का दिन विशेष रूप से पवित्र है। हम सुबह 4:30 बजे संगम के लिए रवाना हुए। यह देवी सरस्वती का दिन है, जिसका आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है।

वसंत पंचमी के शाही स्नान के बाद अखाड़ों के संतों की वापसी शुरू हो गई है। विभिन्न अखाड़ों के महामंडलेश्वर, संत और नागा साधु प्रयागराज से अपने-अपने स्थानों के लिए रवाना हो रहे हैं। हालांकि मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की आवाजाही अभी भी जारी रहेगी। अखाड़ों से संतों के चले जाने के बावजूद महाकुंभ 26 फरवरी को शिवरात्रि के दिन भी जारी रहेगा।

वसंत पंचमी के अवसर पर संगम स्नान के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए थे। अखाड़ों का जुलूस संगम घाट की ओर बढ़ा, जहां नागा साधुओं ने पूरी श्रद्धा और धार्मिक अनुष्ठान के साथ स्नान किया। 

वसंत पंचमी का त्यौहार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह तिथि 2 फरवरी 2025 को प्रातः 9:14 बजे प्रारम्भ होकर 3 फरवरी को प्रातः 6:52 बजे तक रही। इस दिन देवी सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माघ मास की शुक्ल पंचमी को देवी सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए इसे विद्या और ज्ञान के पर्व के रूप में मनाया जाता है।