मैहर अल्ट्राटेक सीमेंट प्रबंधन को वन भूमि के बदले भूमि और 5 से 7 गुना जुर्माना भी होगा भरना


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स्टोरी हाइलाइट्स

मैहर कलेक्टर की रिपोर्ट ने भी माना वन भूमि पर कब्जा, विभाग में एफसीए के तहत डायवर्सन करने प्रबंधन को दिया नोटिस..!!

भोपाल: मैहर के सरला नगर स्थित अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्ट्री प्रबंधन को 25 हैक्टयर से अधिक वन भूमि कब्जा होने की पुष्टि कलेक्टर ने भी कर दी है। जबकि वन विभाग के दस्तावेज बता रहे हैं कि फैक्ट्री प्रबंधन ने  27.9 हैक्टयर वन भूमि पर बलात कब्जा किया है। मैहर कलेक्टर ने एसीएस फारेस्ट को भेजी अपनी रिपोर्ट में यह मान लिया कि अल्ट्राटेक सीमेंट प्रबंधन ने बिना अनुमति वन भूमि पर स्थायी निर्माण कर रखा है। 

मैहर कलेक्टर की रिपोर्ट आने के बाद वन विभाग ने अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्ट्री के प्रबंधन को नोटिस दिया है कि एफसीए (फारेस्ट कंजर्वेशन एक्ट) के अंतर्गत वन भूमि डायवर्सन के लिए आवेदन करें। यानि अब प्रबंधन को डायवर्सन के लिए भूमि के बदले भूमि, नेट प्रेजेंट वैल्यू, सीए के अलावा 5 से 7 गुना पेनल्टी भी भरना होगी। एक अनुमान के अनुसार कंपनी प्रबंधन को लगभग 10 करोड़ की राशि बतौर पेनल्टी भरनी होगी।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1977 में मैहर सीमेंट फैक्ट्री सरलानगर (तत्कालीन सेंचुरी टेक्सटाइल लिमिटेड) को फैक्ट्री निर्माण, लेवर कॉलोनी निर्माण, एवं कन्वेयर बेल्ट निर्माण हेतु 193.186 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई थी। 

इस सम्बन्ध में वर्ष 1993 में कलेक्टर, जिला सतना द्वारा वर्ष 1977 से 99 वर्ष की अवधि के लिए लीज डीड सम्पादित की गई थी। (कलेक्टर सतना द्वारा वर्ष 1977 से 99 वर्ष की अवधि के लिए लीज डीड)। आवंटित भूमि में से 188.230 हेक्टेयर वन भूमि थी, तथा 4.956 हेक्टेयर राजस्व भूमि थी। वन भूमि वनखण्ड सगमनिया एवं वनखण्ड बम्हनी में स्थित है। 188.23 हेक्टेयर वन भूमि में सन्वेयर बेल्ट हेतु 5.855 फैक्ट्री साइट एवं लेबर कॉलोनी के निर्माण कार्य हेतु (188.23 हे० - 5.855) 182.375 वन भूमि आवंटित की गई थी।

अनुमति के विरुद्ध 27.9 हेक्टेयर पर निर्माण किया..

कंपनी द्वारा स्थल पर कक्ष कमांक पी-546 में 182.00 हेक्टेयर में निर्माण कार्य किया गया है, जिसमें सीमेन्ट फैक्ट्री प्लांट, रिहायसी कॉलोनी, स्कूल, रेस्टहाउस आदि सम्मिलित हैं। कक्ष कमांक पी-546 में 182 हेक्टेयर में निर्माण कार्य के अतिरिक्त कंपनी द्वारा कक्ष कमांक पी-555 में 27.9 हेक्टेयर में बैंक, लेबर कॉलोनी, कॉलेज, हॉस्पिटल, बाजार आदि का निर्माण किया गया है। 

अतएव फैक्ट्री प्रबंधन को कुल आवंटित 188.23 हेक्टेयर वनभूमि में से कन्वेयर बेल्ट हेतु आवंटित 5.855 हेक्टेयर वनभूमि को हटाकर कुल 182.375 हेक्टेयर में निर्माण कार्य करने की अनुमति प्राप्त थी किंतु कंपनी द्वारा आवंटित 182.375 हेक्टेयर वन भूमि के विरुद्ध बीट सगमनिया के कक्ष क्रमांक पी-546 में 182 हेक्टेयर तथा बीट बम्हनी के कक्ष क्रमांक पी-555 मैं 27.9 हेक्टेयर में निर्माण कार्य किया गया। इस प्रकार कंपनी को निर्माण कार्य हेतु कुल आवंटित  वन भूमि 182.375 हेक्टेयर के विरुद्ध कुल 209.9 हेक्टेयर वन भूमि में फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा निर्माण कार्य किया गया। अतएव कंपनी द्वारा 27.9 हेक्टेयर वन भूमि अतिरिक्त अवैध निर्माण कार्य किया गया है। 

नियम के उल्लंघन पर पांच गुना तक पेनाल्टी..

इसके उल्लंघन के लिए जुर्माना वास्तविक परिवर्तन की तारीख से उल्लंघन के प्रत्येक वर्ष के लिए प्रति हेक्टेयर वन भूमि के एनपीवी (नेट प्रेजेंट वैल्यू) के बराबर होगा, जैसा कि निरीक्षण अधिकारी द्वारा रिपोर्ट किया गया है, एनपीवी के अधिकतम पांच गुना तक और जमा किए जाने तक 12% साधारण ब्याज"। वनों का एनपीवी (नेट प्रेजेंट वैल्यू) वह राशि है जो किसी परियोजना प्रस्तावक को उस वन भूमि के लिए चुकानी होती है जिसे गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए बदला जा रहा है। यह वनों के प्रकार और गुणवत्ता पर निर्भर करता है। इसमें यह भी प्रावधान है कि राज्य सरकारें उल्लंघन को रोकने में विफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेंगी।

क्या है एफसीए के नियम..?

एफसीए के तहत, वन भूमि को बांध, खनन और अन्य गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए बदला जा सकता है, लेकिन इसके लिए एफसी अधिनियम की धारा- 2 के तहत पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होती है। कभी-कभी खनन या निर्माण जैसे प्रोजेक्ट का काम वन विभाग की मंजूरी लिए बिना ही शुरू कर दिया जाता है। 

इसके बाद मंत्रालय जुर्माने की राशि तय करने के लिए ऐसी परियोजनाओं के प्रस्तावकों की जांच करता है। एफएसी ने सिफारिश की है कि जिन मामलों में राज्य सरकार द्वारा केन्द्र सरकार की मंजूरी के बिना गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए वन भूमि के उपयोग की अनुमति दी गई है, तो उनके खिलाफ एफसीए अधिनियम 1980 के तहत कार्रवाई की जाएगी।