मुश्किल में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, उमंग सिंघार ने लोकायुक्त के सामने पेश किए सबूत


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स्टोरी हाइलाइट्स

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने अब लोकायुक्त कार्यालय पहुंचकर भ्रष्टाचार से जुड़े सभी दस्तावेज मध्य प्रदेश के लोकायुक्त को सौंप दिए हैं। उमंग सिंघार सहित कई कांग्रेस नेता मौजूद रहे..!!

भोपाल के बहुचर्चित सौरभ शर्मा प्रकरण में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत घिरते नजर आ रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने अब लोकायुक्त कार्यालय पहुंचकर भ्रष्टाचार से जुड़े सभी दस्तावेज मध्य प्रदेश के लोकायुक्त को सौंप दिए हैं। उमंग सिंघार सहित कई कांग्रेस नेता मौजूद रहे। विपक्ष के नेता ने लोकायुक्त के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिसके बाद लोकायुक्त ने मामले की जांच जांच एजेंसी को सौंपने का आश्वासन दिया है। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और उनके कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। सभी के नाम के साथ संपत्ति और भ्रष्टाचार के कागजात भी पेश किए गए हैं।

उमंग सिंघार ने कहा है, कि- मंत्री गोविंद राजपूत ने पत्नी और बेटे के नाम पर खरीदी करोड़ों की अवैध संपत्ति, जब्ती की मांग की, जांच कराई जाए तो बड़ा मगरमच्छ पकड़ा जाएगा।

मध्य प्रदेश में सौरभ शर्मा केस को लेकर काफी बवाल मचा था। यह मामला इतना गरमा गया कि इसकी आंच विधान सभा तक पहुंच गई। विपक्ष ने सदन में जोरदार नारेबाजी की और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। इस बीच, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार लोकायुक्त कार्यालय पहुंचे। जहां उन्होंने पूर्व परिवहन मंत्री और वर्तमान मंत्री गोविंद राजपूत के खिलाफ लोकायुक्त के समक्ष दस्तावेज पेश किए। संपत्ति जब्त करने की भी मांग की गई है।

लोकायुक्त को ज्ञापन सौंपकर उमंग सिंघार ने इस मामले में बड़े घोटाले की आशंका जताई है। उन्होंने कहा, ‘‘परिवहन विभाग का बजट केवल 150 करोड़ रुपये था लेकिन घोटाला 5,000 करोड़ रुपये का है।’’ "यह सब जनता का पैसा है।"

उमंग सिंघार ने जांच एजेंसियों की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “इतनी सारी जांच एजेंसियां यह पता नहीं लगा पाई हैं कि ये सोने की ईंटें किसकी हैं? अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि भोपाल और दिल्ली में हजारों करोड़ रुपये की जमीन खरीदी गई है या नहीं। जांच की गति धीमी है। 

एक्स पर पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा, “परिवहन घोटाले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की खबरें सामने आई हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है जो राज्य की जनता की कमाई के दुरुपयोग और प्रशासनिक पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है। तीन महीने बीत चुके हैं लेकिन जांच एजेंसियां अभी भी खाली हाथ हैं। "जांच एजेंसियां सख्त कार्रवाई कब करेंगी?"

उमंग सिंघार ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव घोषणापत्र में 150 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति छिपाई गई है। हमने साक्ष्य सहित कागजात उपलब्ध कराये हैं। लोकायुक्त ने जांच का आश्वासन दिया है। कांग्रेस ने मांग की है कि जांच पूरी की जाए। इतनी सारी जांच एजेंसियां होने के बावजूद सरकार अभी भी इसे छिपा रही है। अगर जांच की जाए तो बड़े मगरमच्छ भी पकड़े जाएंगे।

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंह ने भी कहा कि हमने परिवहन मंत्री (गोविंद राजपूत) और उनके साथियों के बारे में सारी जानकारी दे दी है। अध्यक्ष ने आश्वासन दिया है कि इस पर सदन में चर्चा की जाएगी। जांच बहुत धीमी गति से चल रही है। उन्होंने कहा है कि जांच एजेंसी (लोकायुक्त) जांच कर रही है। लोकायुक्त ने स्पष्ट किया है कि वह यह साक्ष्य जांच एजेंसी को उपलब्ध कराएंगे। इसके बाद जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

सिंघार का आरोप- 'मंत्री गोविंद राजपूत, पत्नी और बेटे के नाम पर करोड़ों की बेनामी संपत्ति खरीदी गई'

मीडिया से बात करते हुए उमंग सिंघार ने आरोप लगाया कि मंत्री गोविंद राजपूत, उनकी पत्नी और बेटे समेत कई लोगों के नाम पर बेनामी संपत्तियां खरीदी गई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले तीन महीने से सरकार इस मामले को छिपाने की कोशिश कर रही है। उनकी जांच की गति धीमी हो रही है। यह करोड़ों रुपए का घोटाला है। यह इस राज्य के लोगों का पैसा है। ईंटें निकल रही हैं लेकिन लोगों को पता नहीं कि वे किसकी हैं। ये ईंटें जनता की गाढ़ी कमाई से खरीदी गई हैं। इसीलिए कांग्रेस विधायक दल लोकायुक्त के पास आया था। हमने साक्ष्य सहित दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं तथा इस संबंध में तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

उन्होंने आगे कहा, “अवैध रूप से खरीदी गई बेनामी संपत्तियों और परिवार के सदस्यों के नाम पर खरीदी गई संपत्तियों के रजिस्टर और साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं। गोविंद राजपूत, उनकी पत्नी, बच्चे, परिवार, संजय श्रीवास्तव, संजय डालडे, वीरेश तुमाराम जैसे कई लोग हैं, जिनकी संपत्ति की जानकारी उपलब्ध कराई गई है।

उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'परिवहन घोटाले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ लापरवाही हो रही है। भाजपा के शीर्ष नेता उच्च पदों पर आसीन होने के बावजूद भ्रष्टाचार में लिप्त हैं तथा अवैध लेन-देन के माध्यम से अपने नाम पर तथा अपनी पत्नियों, बेटों, रिश्तेदारों और अन्य लोगों के नाम पर सैकड़ों एकड़ जमीन खरीद ली है। 

उन्होंने लोकायुक्त से मुलाकात कर इस अवैध बेनामी लेनदेन की जांच और संपत्ति जब्त करने की मांग की ताकि राज्य के आम लोगों की गाढ़ी कमाई के साथ हो रही छेड़छाड़ को रोका जा सके।