मोहन सरकार का एक साल पूरा, पहली वर्षगांठ पर CM पेश करेंगे साल भर का लेखा-जोखा


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स्टोरी हाइलाइट्स

मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल का एक साल पूरे होने पर सरकार की उपलब्धियों की समीक्षा की जा रही है और भविष्य की उम्मीदों पर प्रकाश डाला जा रहा है..!

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बने एक साल हो गया है। प्रदेश के सीएम के रूप में 13 दिसंबर शक्रवार को उनके कार्यकाल की पहली वर्षगांठ है। वह पिछले एक साल का लेखा-जोखा पेश करेंगे। वहीं, मोहन सरकार के एक साल पूरा होने पर प्रदेश में 11 दिसंबर से 26 जनवरी 2025 तक जन कल्याण अभियान और 11 से 26 दिसंबर तक जन कल्याण पर्व भी मनाया जा रहा है।

इस अवधि में राज्य मंत्री अपने प्रभारी एवं गृह जिलों में विभिन्न गतिविधियों में भाग लेंगे तथा जिलों में आयोजित शिविरों के सुचारु संचालन हेतु आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करेंगे। साथ ही सांसद एवं अन्य जन प्रतिनिधि भी इन कार्यक्रमों की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेंगे। साथ ही 26 दिसंबर को पचमढ़ी में चिंतन शिविर का आयोजन किया जाएगा।

सीएम मोहन यादव ने राज्य में विकास, निवेश और जनकल्याणकारी योजनाओं को नई गति दी। खासतौर पर लाड़ली बहना योजना का विस्तार और बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने जैसे बड़े फैसले लिए गए। संघ पृष्ठभूमि से आने वाले मोहन यादव ने कई चुनौतियों के बीच खुद को एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया। उम्मीद है कि आगामी जन कल्याण अभियान और इन्वेस्टर समिट उनके दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे।

सालभर पहले प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन बनेगा इसे लेकर सस्पेंस बरकरार था। सीएम पद की रेस में कई बड़े नामों की चर्चा थी। लेकिन न्यूज चैनलों से लेकर सभी विशेषज्ञों के सभी अनुमान धरे के धरे रह गए और बीजेपी आलाकमान ने उस व्यक्ति को सीएम बना दिया जो तीसरी पंक्ति में बैठा था। नाम का ऐलान होते ही सभी चौंक गए थे।

इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि पिछले एक साल में सीएम मोहन ने अपनी एक मजबूत पहचान बनायी है। 'सबसे पढ़े-लिखे राजनेता' ने अपने पहले ही फैसले में लाउडस्पीकर की पर लगाम लगाई।
एक और सवाल जो सभी को बार-बार परेशान करता था, कि क्या शिवराज सरकार में शुरु की गई लाड़ली बहना ख़त्म कर दी जाएगी। ऐसे समय में जब विपक्ष बार-बार कह रहा था कि सरकार लाड़ली बहना योजना को खत्म करने का इरादा रखती है, डॉ. मोहन यादव इस बात पर अड़े थे कि योजना न केवल जारी रहेगी बल्कि लाड़ली बहना आवास योजनाओं की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। 

बीआरटीएस कॉरिडोर हटाया जाना भी सीएम मोहन यादव के बड़े फ़ैसलों में शुमार रहा। पिछले एक साळ में सीएम मोहन ने कई बड़े फ़ैसले लिए। पिछले काफी समय से मुख्यमंत्री का फोकस राज्य में निवेश लाने पर रहा। जिसके चलते लगातार प्रदेश भर में विभिन्न स्तरों पर रीजनल इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया जा रहा है और अगले साल फरवरी में भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया जाएगा, जिसमें पीएम मोदी के भी शामिल होने की संभावना है।

संघ पृष्ठभूमि से आने वाले डॉ. मोहन यादव ऐसे समय में सीएम की कुर्सी पर बैठे थे जब पूर्व सीएम शिवराज सिंह की लेकप्रियता चरम पर थी। यह सवाल अक्सर सुनने में आता था कि बड़े और अनुभवी नामों को छोड़कर डॉ. मोहन यादव को किस आधार पर सीएम बनाया गया। डॉ. मोहन यादव के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ थीं। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता की बराबरी करना और उनके लंबे कार्यकाल के बाद प्रदेश की कमान संभाल अपनी अलग छाप छोड़ पाना आसान नहीं था।

जब पार्टी के बेहद लोकप्रिय अनुभवी नेता की विरासत संभालने की चुनौती आपके सामने होती है, तो तुलनाएं और अपेक्षाएं और भी ज़्यादा बढ़ जाती हैं। इन सभी अपेक्षाओं पर खरे उतरते हुए पिछले एक साल में सीएम डॉ. मोहन यादव ने खुद को और आलाकमान के फ़ैसले को पूरी तरह से सही साबित कर दिया है। उन्होंने अपनी एक मजबूत पहचान बनाई है और अपने फैसलों से दिल्ली के फैसले के भी सही होने पर मुहर लगा दी है।

मोहन सरकार का यह एक वर्ष निश्चित रूप से अनेक उपलब्धियों से भरा रहा है और मध्य प्रदेश को उम्मीद है कि वह भाजपा के संकल्प के आधार पर प्रदेश के हितों में नई रोशनी नए आयाम छूने की ओर अग्रसर होते रहेंगे।