एमपी गजब है...यहां जमीन पर पेड़ कटते हैं..कागजों पर लगाए जाते हैं


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स्टोरी हाइलाइट्स

हर साल कागजों पर चलाये जाने पेड़ लगाओ अभियान की वजह से ही सरकारी सूत्रों का दावा है कि पिछले सालों में एमपी में "फॉरेस्ट कवर" बढ़ा है..!!

भोपाल: मप्र गजब है...यहां जुलाई आते ही कागज पर पेड़ लगाकर हरियाली महोत्सव मनाया जाता है और फिर प्रोजेक्ट के नाम पर जमीन पर लगे पेड़ काटते हैं। हर साल कागजों पर चलाये जाने पेड़ लगाओ अभियान की वजह से ही सरकारी सूत्रों का दावा है कि पिछले सालों में एमपी में "फॉरेस्ट कवर" बढ़ा है। 

अब सरकार कह रही है तो फिर सच ही कह रही होगी, क्योंकि जब जमीन पर पेड़ कटते हैं और कागज पर लगाए जाते हैं, तब कागज में फॉरेस्ट कवर बढ़ेगा ही..! ऐसे में कागज का लिखा ही सही माना जाएगा। जहां तक जमीनी हकीकत की बात है, उसे पूरे प्रदेश में नंगी आंखों से देखा जा सकता है पर देखेगा कौन? 

वैसे तो यह हर साल की रिवायत बन गई है। जुलाई का महीना आते आते सूबे की सरकार को हरियाली महोत्सव याद आने लगता है। आम आदमी को इस रिवायत की याद अखबारों में छपने वाले बड़े बड़े विज्ञापन दिलाते हैं। एक दो दिन बड़े-बड़े विज्ञापन छापने वाले ये अखबार साल भर जंगल और पेड़ कटने की छिटपुट खबरें छापते रहते हैं। 

हालांकि पिछले कुछ सालों से ऐसी खबरों की संख्या बहुत बढी है।इसके साथ ही जंगल माफिया और जंगल महकमे के साथ टकराव भी बढ़ा है। इस टकराव में वन कर्मचारियों की जाने भी गई हैं। इस पर बात बाद में फिर कभी करेंगे। आज तो बात सिर्फ हरियाली की होगी।