MP News: भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह को एमपी हाईकोर्ट के दो जजों ने 12 मार्च को कोर्ट की अवमानना के दो अलग-अलग मामलों में अपनी मुख्य पीठ जबलपुर में तलब किया। जहां जस्टिस विवेक अग्रवाल ने भोपाल कलेक्टर के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया, वहीं जस्टिस ए के सिंह की कोर्ट ने भोपाल कलेक्टर की व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य की।
दोनों मामले रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) द्वारा जारी आरआरसी के निष्पादन पर कोर्ट के निर्देशों का पालन न करने से संबंधित हैं। जहां कौशलेंद्र विक्रम सिंह जस्टिस अग्रवाल की कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए, वहीं उन्होंने जस्टिस ए के सिंह की कोर्ट में दिल्ली में महत्वपूर्ण आधिकारिक प्रतिबद्धताओं का हवाला देते हुए व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट का अनुरोध किया।
याचिकाकर्ता के वकील ने आवेदन पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह कोर्ट में पेशी से बचने के लिए दायर किया गया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि जस्टिस अग्रवाल के जमानती वारंट के बाद कलेक्टर ने इस कोर्ट से छूट मांगते हुए वर्चुअल उपस्थिति का विकल्प चुना।
अदालत ने सुनवाई 19 मार्च तक स्थगित करते हुए कहा कि यदि तब तक अदालती आदेश का पालन नहीं होता है तो भोपाल कलेक्टर को कार्यवाही के दौरान व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा। भोपाल कलेक्टर ने रेरा से जुड़े मामले में समय पर आरआरसी का निष्पादन नहीं किया, जिसके चलते मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश दिया है।
दरअसल, एक बिल्डर के खिलाफ दो लोगों ने भोपाल कलेक्टर को शिकायत दी थी, जो रेरा से संबंधित थी। इस मामले में रेरा ने 2020 में भोपाल कलेक्टर को आदेश दिया था कि वह आरआरसी (राजस्व वसूली प्रमाण पत्र) के तहत इस केस का जल्द से जल्द निष्पादन करें, लेकिन कलेक्टर ने कोई कार्रवाई नहीं की।
इस देरी के चलते शिकायतकर्ता अरविंद वर्मा ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने भोपाल कलेक्टर को 60 दिनों में आरआरसी निष्पादित करने का निर्देश दिया था, लेकिन उन्होंने फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की।
इसी तरह, भोपाल निवासी भानु प्रताप ने भी बिल्डर के खिलाफ रेरा में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें भोपाल कलेक्टर को कार्रवाई करने का आदेश दिया गया था, परंतु यहां भी कोई कदम नहीं उठाया गया।