MP News: भोपाल गैस त्रासदी के कचरे को जलाने से पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं- CM


Image Credit : X

स्टोरी हाइलाइट्स

MP News: भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद पीथमपुर में जलाया जाएगा रासायनिक कचरा मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दिया आश्वासन, कचरे के निपटान से पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा..!!

Bhopal Gas Tragedy: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में चार दशक पहले हुई यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी के कचरे को जलाने की तैयारी चल रही है। रासायनिक कचरे को कंटेनर के जरिए पीथमपुर तक सुरक्षित पहुंचाया गया है। जहां इस कचरे को जलाया जाना है।

भोपाल से पीथमपुर तक 250 किलो मीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया और भारी सुरक्षा के बीच बुधवार रात भोपाल से कंटेनर रवाना किए गए। इस कचरे को पीथमपुर में जलाए जाने को लेकर बवाल  मचा हुआ है। विपक्ष समेत कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं। इस पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट किया है कि इस रासायनिक कचरे को लेकर कोई आशंका नहीं है क्योंकि इसका पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि 40 साल पहले जब त्रासदी हुई थी तब वे खुद भोपाल में थे और उन्होंने भी त्रासदी की भयावहता देखी थी। भोपाल गैस त्रासदी की घटना बहुत भयानक थी।

पीथमपुर में रासायनिक कचरा जलाने पर बोलते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, ''हमारी सरकार ने पूरी संवेदनशीलता के साथ जहरीले कचरे का निपटान करने का फैसला किया है। भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल हो गए हैं, कई चिंताएं हैं..थोड़ी आशंका है बर्बादी के बारे में।"

सीएम मोहन यादव ने आगे कहा, ''भोपाल के लोग पिछले 40 सालों से इस कचरे के साथ जीवन गुजार रहे हैं, इस कचरे का परीक्षण भारत सरकार की कई संस्थाओं द्वारा किया जा चुका है।''

सीएम ने आगे कहा, ''इस कचरे को पीथमपुर में जलाया जाएगा। इसका ड्राई रन पहले ही हो चुका है, जिसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए हैं। इस कचरे को नष्ट करें, इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि इस कचरे को जलाने से पर्यावरण पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस रिपोर्ट के बाद हाई कोर्ट ने कचरे को जलाने का निर्देश दिया क्योंकि इससे पर्यावरण पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

बता दें कि 23 दिसंबर 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिसमें हजारों लोगों की मौत हो गई थी और लाखों लोग इसके दुष्प्रभाव से पीड़ित हैं। इतना ही नहीं, यह रासायनिक कचरा 40 साल तक प्लांट में दबा रहा, जिसे पीथमपुर में जलाया जाना है।