ओम बिड़ला vs के. सुरेश स्पीकर बनने की रेस में कौन आगे? जानिए लोकसभा स्पीकर चुनने का पूरा गणित


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स्टोरी हाइलाइट्स

ओम बिड़ला 2019 में सर्वसम्मति से 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए, इस बार उन्होंने कोटा से लगातार तीसरी बार एमपी का चुनाव जीता है, वहीं इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार कोडिकुन्निल सुरेश केरल के मावेलिकारा से 8 बार सांसद हैं..!!

NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) और विपक्षी I.N.D.I.A. ब्लॉक के बीच लोकसभा अध्यक्ष पद पर सहमति नहीं बन पाने के बाद दोनों गठबंधनों ने अलग-अलग उम्मीदवार उतारे हैं। अब 26 जून को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही प्रोटेम स्पीकर अगले स्पीकर को चुनने के लिए वोट करेंगे. राजस्थान के कोटा से तीन बार के सांसद ओम बिड़ला और केरल के मवेलिकारा से 8 बार के सांसद कोडिकुन्नील सुरेश ने क्रमशः NDA और I.N.D.I.A. ब्लॉक के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए आवेदन किया है।

543 सदस्यीय लोकसभा में वर्तमान में 542 सांसद हैं क्योंकि केरल की वायनाड सीट राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद खाली हो गई है। सदन में एनडीए के पास 293 सांसदों के साथ स्पष्ट बहुमत है। जबकि विपक्ष के इंडिया ब्लॉक में 233 सांसद हैं। जबकि अन्य दल जो एनडीए या इंडिया ब्लॉक का हिस्सा नहीं हैं, उनके पास 16 सांसद हैं। इसमें कुछ निर्दलीय भी शामिल हैं। अगर ये 16 सांसद भी इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार का समर्थन करते हैं तो भी संख्या 249 तक पहुंच जाएगी। जबकि चुनाव जीतने के लिए 271 वोटों की जरूरत होगी।

लोकसभा में एनडीए के पक्ष में संख्याबल के साथ, ओम बिड़ला लगातार दूसरी बार अध्यक्ष बनने की दौड़ में विपक्षी उम्मीदवार के सुरेश से आगे दिख रहे हैं। ओम बिड़ला पहली बार 2014 में कोटा से लोकसभा सांसद बने। वह 2019 में फिर से जीते और सर्वसम्मति से 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए। इस बार उन्होंने कोटा से लगातार तीसरी बार एमपी का चुनाव जीता है।

कैसे होता है स्पीकर का चुनाव ?

लोकसभा में, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों का चुनाव सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत द्वारा किया जाता है। साधारण बहुमत का अर्थ है सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले 50% से अधिक सदस्य। सांसदों के 50 फीसदी से ज्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवार को स्पीकर पद के लिए चुना जाएगा। 542 लोकसभा सीटों में से एनडीए के पास 293 सीटें हैं। जबकि 542 का आधा हिस्सा 271 है। इस प्रकार, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के पास सदन में बहुमत है और उसे अपनी पसंद का अध्यक्ष चुनने में कोई कठिनाई नहीं होने की संभावना है।

जब तक जेडीयू और टीडीपी जैसी महत्वपूर्ण एनडीए पार्टियां इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार या सुरेश के समर्थन में क्रॉस वोटिंग नहीं करतीं, इंडिया ब्लॉक को स्पीकर का पद मिलने की संभावना नहीं है। लेकिन एनडीए के दो प्रमुख सहयोगी टीडीपी और जेडीयू पहले ही बीजेपी समर्थित उम्मीदवार के साथ जाने का फैसला कर चुके हैं। वहीं, ममता बनर्जी ने इंडिया ब्लॉक को बाहर से समर्थन देकर स्पीकर उम्मीदवार के चयन के फैसले में खुद को शामिल नहीं करने पर नाराजगी जताई है। अगर उनकी पार्टी टीएमसी के सांसद वोटिंग का बहिष्कार करते हैं तो इंडिया ब्लॉक के 29 सांसदों का समर्थन कम हो जाएगा और उसकी संख्या घटकर 204 रह जाएगी।

एनडीए में शामिल प्रमुख दलों में अकेले बीजेपी के पास 240 सांसद हैं, टीडीपी के पास 16, जेडीयू के पास 12, शिवसेना के पास 7, एलजेपी के पास 5, आरएलडी के पास 2, अपना दल और एनसीपी के पास 1-1 सांसद हैं। इसके अलावा बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में 1-1 सांसद वाले अन्य दल भी शामिल हैं। इंडिया ब्लॉक में शामिल प्रमुख पार्टियों में कांग्रेस के पास 99 सांसद हैं। इसके बाद समाजवादी पार्टी 37 सांसदों के साथ दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। टीएमसी के पास 29 सांसद हैं, डीएमके के पास 22 सांसद हैं। शिव सेना यूबीटी के 9 सांसद, एनसीपी (शरद पवार गुट) के 8 सांसद, आम आदमी पार्टी के 3 सांसद, जेएमएम के 3 सांसद इंडिया ब्लॉक के साथ हैं।