MP Neemuch News: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के बुधवार को नीमच आगमन पर भाजपा के कई वरिष्ठ नेता और मंडल अध्यक्ष उनसे मिलने हवाई पट्टी पर पहुंचे, लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। नेताओं ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हम कार्यकर्ता हैं जो मुख्यमंत्री, सांसद और विधायक बनाते हैं, फिर भी हमें सम्मान नहीं मिल रहा है।
दरअसल सीएम यादव के आगमन पर रनवे पर सुरक्षा घेरा स्थापित किया गया। इसमें प्रभारी मंत्री, सांसद, तीनों विधायक, भाजपा जिला अध्यक्ष, नगर पालिका अध्यक्ष नीलेश पाटीदार, मंडल अध्यक्ष मोहन सिंह राणावत और भाजपा जिला अध्यक्ष वंदना खंडेलवाल को प्रवेश मिला।
लेकिन भाजपा महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष मीना जयसवाल, महेंद्र भटनागर, संतोष चोपड़ा, पं. दीनदयाल मंडल अध्यक्ष दारासिंह यादव और दक्षिण मंडल अध्यक्ष मदन गुर्जर को बाहर ही रोक दिया गया। उन्हें बैरिकेड के बाहर से ही मिलने के लिए कहा गया।
इस संबंध में संतोष चोपड़ा ने एएसपी नवल सिंह सिसोदिया से कहा कि कार्यकर्ताओं के साथ इस तरह का व्यवहार उचित नहीं है। हम भी सम्मान के पात्र हैं। संभागीय अध्यक्ष दारासिंह यादव ने भी उनका समर्थन किया।
आवाज सुनकर विधायक दिलीप सिंह परिहार मौके पर पहुंचे। उन्होंने एएसपी को बताया कि इससे पहले भी जब मुख्यमंत्री आए थे तो सभी कार्यकर्ताओं को उनसे मिलने की अनुमति दी गई थी। इस बार ऐसा क्यों हो रहा है?
एएसपी ने बताया कि उन्हें प्राप्त सूची के अनुसार प्रवेश दिया गया। इस पर विधायक ने कहा कि वह भी बाहर ही खड़े रहेंगे। महेंद्र भटनागर ने भी नाराजगी जताते हुए कहा कि महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष को नहीं रोका जाना चाहिए था।
आवाज सुनकर भाजपा जिला अध्यक्ष वंदना खंडेलवाल सुरक्षा गेट पर पहुंच गईं। उन्होंने कार्यकर्ताओं को साथ लाने के बजाय उन्हें मुख्यमंत्री से मिलते समय धक्का-मुक्की ना करने की सलाह दी, कहा- सभी को मिलने का मौका मिलेगा।
बाद में विधायक के अनुरोध पर एएसपी ने कार्यकर्ताओं को अंदर आने की अनुमति तो दे दी, लेकिन सुरक्षा घेरे में नहीं जाने दिया। इस बात पर बहस शुरू हो गई कि आखिर वह कौन व्यक्ति था जिसने प्रशासन को सूची दी और नीमच के वरिष्ठ नेताओं और विभाग प्रमुखों के नाम इसमें क्यों नहीं शामिल किए गए। जबकि प्रधानमंत्री की पहली यात्रा के दौरान सभी नेताओं को उनसे मिलने की अनुमति दी गई थी।
यह घटना मीडिया द्वारा कैमरों में कैद कर ली गई। जिसके बाद सोशल मीडिया पर इसके वीडियो वायरल होने के बाद शहर में चर्चा होने लगी कि भाजपा में अंदरूनी मतभेद शुरू हो गए हैं।